खास बातें:-
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क्यों फंस रहा मामला जिस दिन काउंटिंग थी, उसी दिन राज्य के प्रधान मुख्य वन संरक्षक सेंट्रल डेप्यूटेशन में चले गए.
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काउंटिंग के दिन कैसे निकला नोटिफिकेशन, उसी दिन कैसे दिया दूसरे अफसर को चार्ज.
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काउंटिंग के दिन दोपहर 12:30 बजे जूनियर अफसर को पीसीसीएफ का दिया चार्ज.
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1984 बैच के अफसर की अनदेखी कर 1986 बैच के अफसर को बना दिया पीसीसीएफ.
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यही नहीं पीसीसीएफ संजय कुमार ने सेंट्रल में एक पोस्ट नीचे के पद पर किया ज्वाइन.
रांचीः झारखंड कैडर के पूर्व पीसीसीएफ संजय कुमार अब फंसते नजर आ रहे हैं. भारत सरकार ने राज्य के निगरानी विभाग से अब यह मांगा है कि पीसीसीएफ संजय कुमार के खिलाफ कोई चार्ज है या नहीं. जबकि पीसीसीएफ संजय कुमार का मामला फिलहाल लोकायुक्त के पास लंबित है. लोकायुक्त ने पीसीसीएफ के खिलाफ निगरानी जांच के अनुशंसा की है. पीसीसीएफ ने यह जानकारी अब तक भारत सरकार को नहीं दी है. संजय कुमार का नाम केंद्र में डीजी के लिए शॉर्ट लिस्ट किया गया है.
क्या किया था पूर्व पीसीसीएफ ने
जिस दिन (23 दिसंबर) विधानसभा चुनाव की काउंटिंग चल रही थी, उस दिन झारखंड के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ हेड ऑफ फोर्स) संजय कुमार का सेंट्रल डेप्यूटेशन में जाने का नोटिफिकेशन निकला. उसी दिन दोपहर 12:30 बजे उन्होंने काफी जूनियर अफसर शशिनंद कुलियार को पीसीसीएफ की गद्दी थमा दी. इसकी चर्चा आइएफएस महकमे में तेज होते जा रही है. शशिनंद कुलियार 1986 बैच के अफसर हैं, जबकि इस प्रक्रिया में उसने सीनियर 1984 बैच के अफसरों की अनदेखी की गईं.
हड़बड़ी में केंद्र में एक पद नीचे ज्वाइन किया
पूर्व पीसीसीएफ संजय कुमार को सेंट्रल डेप्यूटेशन में जाने की इतनी हड़बड़ी थी कि काउंटिंग के दिन ही दोपहर 2 बजे के बाद दिल्ली के फ्लाइट पकड़ी. खास तो यह रहा कि सेंट्रल में उन्होंने अपने ओहदे से एक पद नीचे ही ज्वाइन करना मुनासिब समझा. वे केंद्र में एडिशनल डायरेक्टर जनरल फॉरेस्ट कंजरवेटर बनाए गए हैं. जो उनके रैंक से एक रैंक पीछे का है.
पीसीसीएफ हेड ऑफ फोर्स का पद मुख्य सचिव रैंक का होता है. संजय कुमार झारखंड में लेवल 17 के पद पर थे, लेकिन केंद्र में उन्होंने लेवल 16 पर ही ज्वाइन किया.
क्या आरोप है पीसीसीएफ संजय कुमार पर
पूर्व पीसीसीएफ संजय कुमार कई शिकायतों के घेरे में भी हैं. उनपर आइएफएस अफसरों के ट्रांसफर-पोस्टिंग का भी आरोप है. लोकायुक्त के पास पर्यावरण दिवस को लेकर मामला चल रहा है.
सात लाख रुपए का बैलून उड़ाया गया
राजधानी के खेल गांव में आयोजित विश्व पर्यावरण दिवस (पांच जून) को आइएफएस अफसरों ने कार्यक्रम स्थल को 6.60 लाख खर्च कर बैलून से सजाया. यही नहीं 20000 खर्च कर गैस बैलून उड़ाया. इस आयोजन में सरकारी राशि का जमकर दुरुपयोग हुआ. इस मामले को लोकायुक्त ने गंभीरता से लिया.
पूरे मामले की निगरानी जांच का आदेश दिया. इस आयोजन में कुल 1.52 करोड़ रुपये खर्च किये गये. इसमें झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के द्वारा न्यूनतम 10 से अधिकतम 20 लाख रुपये तक का खर्च किया जाता रहा है.
ब्रेक फास्ट, लंच और डिनर में उड़ गये 34.30 लाख
खेल गांव में आयोजित विश्व पर्यावरण दिवस में ब्रेक फास्ट, लंच और डीनर के मद में 3430950 रुपये खर्च कर दिये गये. अफसरों ने सिर्फ चाय और बिस्किट में लगभग ढ़ाई लाख रुपये खर्च किये. कार्यक्रम के आयोजन से पहले 21 मई को विभिन्न उद्योगों एवं प्रयोक्ता अभिकरणों के प्रतिनिधियों को बुलाया और प्रस्तावित आइटमों पर संभावित खर्च वहन करने के लिए कहा गया.
पर्यावरण दिवस पर ऐसे हुआ था खर्च, जिस पर जांच की आंच
• पर्यावरण दिवस पर ब्रेकफास्ट पैकेट में खर्च किया- 5.90 लाख.
• टेबल, लेदर सोफा, टेबल क्लोथ, पाम ट्री पोट व वीआइपी टेबल पर खर्च- 5.60 लाख.
• हरियाली शपथ पत्र और प्रिंटिंग मैगजीन पर खर्च कर दिये- 6.66 लाख.
• ब्रेक फास्ट, लंच और डिनर में उड़ गये- 34.30 लाख.
बिना प्राक्कलन के किया गया खर्च
किस मद में कितना खर्च किया गया-
• फेब्रिकेशन व प्रिंटिंग व फ्लैक्स डिस्प्ले: 2309840 रुपये.
• स्टेज, राइसर व पोडियम: 3653070 रुपये.
• वोलेंटियर: 161900 रुपये.
• लेज साउंड व कल्चरल प्रोग्राम: 483800 रुपये.
• बैलून व फूल डेकोरेशन: 918748 रुपये.
• प्रतिभागियों पर खर्च: 88200 रुपये.
• कोऑर्डिनेशन चार्ज: 32000 रुपये.
• जूट झोला व नोट बुक: 370143.82 रुपये.
• किताब प्रिंटिंग व बाइंडिंग: 20000 रुपये.
• कॉफी-टेबल बुक: 81940 रुपये.
• लंच डिनर व ब्रेकफास्ट: 3430950 रुपये.
• डॉक्यूमेंटरी फिल्म: 1416000 रुपये.
• प्रोग्राम होस्टिंग: 36000 रुपये.
• हरियाली शपथ पत्र व प्रिंटिंग मैगजीन: 666066 रुपये.
• एंकरिंग: 6500 रुपये.
• फ्लैग व बैनर: 1429000 रुपये.
• लॉ यूनिवर्सिटी: 90000 रुपये.