जमशेदपुरः जबलपुर के रहने वाले दंपति ने शहर के अस्पतालों में इलाज कराकर स्वस्थ होने के बजाय वहां से बीमारी लेकर वापस लौटे. अक्सर इस तरह की घटनाएं सामने आ रहीं हैं, लेकिन लापरवाही के कारण अस्पताल और चिकित्सकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो पा रही है. ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आई है आपको बता दें साकची स्थित एएसजी आई हॉस्पिटल में जबलपुर के रहने वाले योगा शिक्षक अपने और अपनी पत्नी की आंखें एक वर्ष पूर्व दिखाने के लिए पहुंचे थे जहां अस्पताल की लापरवाही के कारण दोनों का आंख खराब हो गई. अस्पताल ने जो दवा डाली उसके कारण अब इस दंपत्ति को सब कुछ धुंधला दिख रहा है. इस दंपत्ति ने मामले की जांच के नाम पर लीपापोती करने और खुद को प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है.
जबलपुर निवासी योगा शिक्षक सुभाष चंद्र बोस किसी काम के सिलसिले में जमशेदपुर आए थे. उन्होंने बताया कि इस क्रम में वे अपनी पत्नी विक्टोरिया के साथ आंखों की सामान्य जांच के लिए एएसजी अस्पताल गए थे. मामला 29 जनवरी का है. उस दिन अस्पताल में निःशुल्क जांच की जा रही थी. वहां डॉक्टर्स ने पति-पत्नी की आंखों में कोई दवा डाली. उन्हें धुंधला दिखने लगा तो कहा ठीक हो जाएगा, लेकिन दो-तीन दिनों तक वह ठीक नहीं हुआ और आंखों में पीलापन आ गया. दुबारा अस्पताल गए तो डॉक्टर ने कहा कि 40 की उम्र के बाद ऐसा होता है. इसपर उन्होंने कहा कि उनकी पत्नी तो 27 वर्ष की है, उसकी आंखें क्यों नहीं ठीक हुई तो अस्पताल से उन्हें फटकार कर भगा दिया गया. उन्होंने बताया कि इसके बाद उन्होंने शंकर नेत्रालय, पूर्णिमा नेत्रालय तक में आंखों का इलाज कराया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. उधर मामले की शिकायत करने साकची थाना जाने पर वहां भी उनकी बात नहीं सुनी गई. इसके बाद वे सिटी एसपी से मिले और जिले के उपायुक्त से भी शिकायत की.
उन्होंने कहा उपायुक्त ने सिविल सर्जन को जांच का आदेश दिए इसके बाद सिविल सर्जन डॉ. महेश्वर प्रसाद से भी पति-पत्नी मिले तो उन्होंने जांच करने की बात कही. सिविल सर्जन ने उन्हें कहा सदर अस्पताल में जांच टीम इस संबंध में पूछताछ करेगी. लेकिन गुरुवार को उन्हें साकची एएसजी अस्पताल बुला लिया गया. सुभाष चंद्र ने कहा कि जांच के नाम पर केवल खानापूर्ति की जा रही है, ताकि अस्पताल को बचाया जा सके. उधर जांच टीम में शामिल जमशेदपुर सदर अस्पताल के डॉ. ए.बी के बाखला ने कहा कि दवा के कारण आंखों से धुंधलापन दिखाई देने की शिकायत की जांच की गई. कोई भी दवा देने से पहले मरीज से दवा से एलर्जी और अन्य बातों के बारे में पूछी जाती है, लेकिन अस्पताल ने इस बारे में नहीं पूछा.
मामले की जांच कर रिपोर्ट सिविल सर्जन को दी जाएगी. उधर दंपति ने जांच के बाद उपायुक्त को एक लिखित आवेदन दिया और पत्र में लिखा उनके दोनों बच्चे कैंसर पेशेंट है. अतः मुझे और मेरी पत्नी का उचित चिकित्सा करवा कर आंख को ठीक कराने की कृपा करें.