रांची: रांची के ऑर्किड अस्पताल में 9 फरवरी की रात मानवता एक बार फिर शर्मसार हो गयी है. अस्पताल में भर्ती मरीज ज्वाला प्रसाद राय की मृत्यु हो गयी. अस्पताल का कुल बिल 11 लाख 40 हजार रुपये थे. 11 लाख का भुगतान घरवाले कर चुके थे. उनकी मौत के बाद परिजनों ने 40 हजार रुपये देने में असमर्थता जतायी तो अस्पताल प्रबंधन ने 16 घंटे तक लाश को रोक लिया. बाद में 40 हजार का भुगतान करने के बाद ही लाश को परिजनों के सुपुर्द किया.
आर्किड हॉस्पिटल के लिए यह घटना नई नहीं है, इससे पहले भी ऑर्किड हॉस्पिटल के डॉक्टर्स पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए मरीज के परिजनों ने जमकर हंगामा किया था. दरअसल धनबाद निवासी मोहम्मद जमील हसन का आरोप था कि उन्होंने 28 जुलाई 2017 को अपनी 15 वर्षीय बेटी सानिया परवीन को बुखार की शिकायत पर एडमिट करवाया था, दो दिनों तक डॉक्टर्स ने सानिया के हालत के बारे में कोई जानकारी नहीं दी और 30 तारीख की सुबह अचानक उसकी मौत की खबर परिजनों को दी.
वहीं परिजनों का आरोप था कि सानिया की मौत 29 जुलाई को ही हो गयी थी. डॉक्टर अपनी लापरवाही छुपाने और बिल बढ़ाने की नियत से परिजनों को इसकी सूचना नहीं दे रहे थे. परिजनों का ये भी आरोप है कि उन्हें शव देने से पहले बिल के पैसे चुकाने का दबाव भी हॉस्पिटल प्रबंधन बना रहा था.
रांची में निजी हॉस्पिटल में डॉक्टर्स की लापरवाही का ये कोई नया मामला नहीं है, इसे पहले भी रांची के कई हॉस्पिटल के डॉक्टर्स पर कई बार लापरवाही के आरोप लगे हैं.