रांची : कुछ दिन पहले चाईबासा के बुरुगुलिकेरा में 7 लोगों की हत्या कर दी गई थी. इसमें अंदेशा लगाया गया था कि सभी हत्याएं पत्थलगड़ी समर्थकों ने इसका विरोध करने पर की थी. आदिवासी अधिकार मंच ने इस मामले की अपने स्तर पर जांच की. पूरा मामला हेमंत सोरेन सरकार की छवि धूमिल करने की दृष्टिकोण से किया गया प्रतीत होता है. इस मामले में बिना जांच के ही गृह मंत्री को रिपोर्ट सौंप दी गयी. इस मामले में सतिपति नामक संगठन का हाथ हो सकता है.
सतिपति संगठन के लोग किसी संविधान और धर्म को नहीं मानते. लोगों को भी मानने से मना करते हैं. हो सकता है कि सभी हत्या इस संगठन द्वारा की गयी हो. सरकार को इसकी जांच करानी चाहिए. उक्त बातें मंच की सचिव अलोका कुजुर ने कही. वह सोमवार को रांची के माकपा कार्यालय में संवाददाताओं से बातचीत कर रही थी.
प्रफुल्ल लिंडा ने कहा कि एक स्थानीय माघे पर्व (एक आदिवासी त्योहार) के दिन बाद 16 जनवरी को जेम्स बुढ़ और उनके दोस्तों ने राणसी बुढ़ और चार अन्य लोगों के घरों पर हमला किया. उन्होंने उनकी साइकिल मोटर बाइक, टीवी और घरों में तोड़फोड़ की. वे कथित रूप से दो व्यक्तियों लोद्रो बुढ़ और रोशन बरजो को भी अपने साथ ले गए. जिन परिवारों पर हमला किया गया था, उनके अनुसार हमलावरों के साथ पीपल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएलएफआई) के सशस्त्र सदस्य भी थे.
कुछ ग्रामीणों ने बताया कि जेम्स बुढ़ और मंगरा लुगुन एक स्थानीय नेता के करीबी थे. अपने घरों पर हमला की चर्चा करने के लिए 19 जनवरी को राणसी बुढ़ और अन्य सतिपति समर्थक हमलावरों को उनके घरों से एक बैठक के लिए लाए. बैठक में मुख्य रूप से सतिपति पंथ समर्थक ने भाग लिया था. सतिपति समर्थकों और मारे गए व्यक्तियों के परिवार के सदस्यों की गवाही से यह बात सामने आई कि 7 लोगों को बैठक में पीट-पीटकर मार डाला गया. फिर सिर कलम कर दिया गया.
आदिवासी अधिकार मंच की सचिव अलोका कुजुर ने कहा कि हत्याओं के संबंध में अनेक बातें अभी स्पष्ट नहीं है. लेकिन लोगों की बातचीत से पता चलता है कि गांव में दो गुट थे. सतिपति पंथ समर्थक और गैर समर्थक. दोनों में कभी सतिपति पंथ द्वारा पारंपरिक प्रथाओं और सरकारी योजनाओं को बंद करने के निर्णय के कारण टकराव था.
हालांकि सतिपति समर्थकों के घरों पर हमले और गैर समर्थकों की हत्या का सटीक कारण समझना मुश्किल है. लोगों की गवाही से पीएलएफआई की संभावित भूमिका हिंसा की अनियमितता व प्रकार एवं राणसी और जेम्स द्वारा योजना कार्यान्वयन के इतिहास से इंगित होता है कि यह दोनों गुटों के बीच का पंथ संबंधित टकराव शायद हत्या का एकमात्र कारण नहीं है. अब हत्या की जांच के लिए गठित टीम के रिपोर्ट आने पर ही असली कारणों का पता चलेगा.