ब्यूरो चीफ,
खास बातें:-
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अब तक बिजली बोर्ड के पेंशनधारियों को नहीं मिला पेंशन
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हर माह पेंशनधारियों को किया जाता है 32 करोड़ रुपए का भुगतान
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हर माह वेतन में खर्च होता है 400 करोड़ खर्च
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चल रही है श्वेत पत्र जारी करने की तैयारी
रांचीः झारखंड फाइनेंशियल क्राइसिस से गुजर रहा है. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अब राज्य सरकार पेंशनधारियों को पेंशन का भुगतान नहीं कर पाई है.
11 जनवरी तक बिजली बोर्ड के पेंशनधारियों को पेंशन नहीं मिला है. चारों बिजली कंपनियों में कुल 8000 पेंशनधारी हैं. हर माह पेंशन के एवज में 32 करोड़ रुपए पेंशन का भुगतान किया जाता है. इसकी वजह यह है कि खाजने में राशि की कमी हो गई है. अचानक राशि की निकासी के कारण ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई है.
फिलहाल, सभी विभागों द्वारा खर्च किए गए स्टेटस को खंगाला जा रहा है. जल्द ही हेमंत सरकार श्वेत पत्र जारी करेगी. फिलहाल सरकारी कर्मचारियों के वेतन मद में लगभग हर महीने 400 करोड़ रुपए का भुगतान किया जाता है.
जानकारी के अनुसार, फिलहाल खजाने में लगभग 2500 करोड़ रुपए हैं. वित्त विभाग के अनुसार राशि खजाने में आती-जाती रहती है, लेकिन अब तक की स्थिति यह है कि कोई भी बड़े प्रोजेक्ट के लिये राशि उपलब्ध नहीं है. ठेकेदारों और आपूर्तिकर्ताओं का भी भुगतान नहीं हुआ है.
राशि का मिलान नहीं होना भी बनी वजह
एजी ने कई बार सरकार से राशि के मिलान का आग्रह भी किया. लेकिन अफसरों के उदासीन रवैये के कारण अब तक राशि का मिलान नहीं हो पाया है. दूसरी तरफ राजस्व वसूली भी कम हो रही है. एसी-डीसी बिल की बाध्यता खत्म होने के कारण भी वित्तीय संकट गहरा रहा है. अब अफसर उपयोगिता प्रमाण पत्र में सिर्फ लिखकर दे देते हैं कि पैसा का उपयोग हो गया है. लेकिन इसका कोई सत्यापन नहीं हो पा रहा है.
हेमंत सरकार के लिए होगी चुनौती
हेमंत सरकार के लिए फाइनेंशियल क्राइसिस से निकलना चुनौती होगी. पूर्व की रघुवर सरकार ने पिछले पांच साल में विकास योजनाओं एवं अन्य मदों के लिए 47640.14 करोड़ कर्ज भी लिया है. अब तक झारखंड में कुल कर्ज 85234 करोड़ रुपए का हो गया है.
नई सरकार के लिए कर्ज चुकता करना एक बड़ी चुनौती भी होगी. बताते चलें कि पिछले 14 साल (राज्य गठन से लेकर 2014 तक) में विभिन्न सरकारों द्वारा कुल 37593.36 करोड़ ही कर्ज लिये गये थे.
ऐसा है कर्ज चुकाने का अंकगणित
राज्य सरकार के आंकड़ों के अनुसार, राज्य से सिर्फ 19250 करोड़ ही टैक्स मिलेगा. इसके अलावा केंद्र से अनुदान के रूप में 13850 रुपये ही मिलेंगे. इन दोनों को जोड़ दिया जाये तो कुल राशि होती है 33100 करोड़. फिर भी 52134 करोड़ का कर्ज रह ही जायेगा.
सरकार के आंकड़ों के अनुसार, गैर कर सहित अन्य स्त्रोतों से 69130 करोड़ मिलने का अनुमान लगाया है. अगर इसे भी मान लिया जाये, तो भी 16104 करोड़ का कर्ज रह ही जायेगा. राज्य कर में भी 945.81 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. वित्तीय वर्ष 2014-15 में राज्य कर से 10349.81 करोड़ रुपये मिले थे.