नयी दिल्लीः भारत अमेरिका से खरीद रहा एकीकृत वायु-रक्षा प्रणाली यानी कि एयर डिफेंस सिस्टम जिससे भारत वायु में अपनी क्षमता को मजबूती देगा.
पाकिस्तान इससे परेशान है. गुरुवार को उसने वायु-रक्षा प्रणाली खरीदे जाने को लेकर कहा कि यह ‘पहले से अस्थिर क्षेत्र’ को और अस्थिर करेगा.
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जाहिर है भारत अपनी वायु रक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए अमेरिका से यह खरीदारी कर रहा है. अमेरिका ने एकीकृत वायु रक्षा प्रणाली को भारत को 1.9 अरब डॉलर में बेचे जाने को मंजूरी दे दी हैं.
विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी संसद को अधिसूचित किया है कि यह सौदा लगभग 1.867 अरब डॉलर का है. मंत्रालय ने कहा है कि भारत इस हथियार प्रणाली से अपने सशस्त्र बलों को अत्याधुनिक और हवाई हमलों के खतरों से अपनी रक्षा को मजबूत बनाना चाहता है.
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अमेरिका द्वारा भारत को यह प्रस्तावित हथियार बिक्री ऐसे समय में सामने आया है, जब चीन अपनी सेना को अत्याधुनिक बनाने की मुहिम में लगा है.
यही नहीं वह सामरिक नजरिए से महत्वपूर्ण भारत-प्रशांत क्षेत्र में अपनी ताकत का प्रदर्शन भी कर रहा है. इस्लामाबाद में विदेश मंत्रालय प्रवक्ता आइशा फारूकी ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि इस वक्त भारत को ऐसे अत्याधुनिक हथियारों की बिक्री खासकर परेशान करने वाली है, क्योंकि यह पहले से ही अस्थिर क्षेत्र को और अस्थिर कर देगा.
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इस हथियार प्रणाली में कौन-कौन से हथियार हैं इस पर नजर डालते हैं.
इसमें पांच एएन/एमपीक्यू-64एफ1 सेंटिनल रडार सिस्टम, 118 एमराम एआइएम-120सी-7/सी-8 मिसाइल, तीन एमराम गाइडेंस सेक्शन, चार एमराम कंट्रोल सेक्शन और 134 स्टिंगर एफआइएम-92एल मिसाइल शामिल है.
इसके अलावा 32 एम4ए1 राइफल, मल्टी-स्पेक्ट्रल टारगेटिंग सिस्टम-मॉडल ए भी शामिल है.
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भारत को उम्मीद है कि इस फैसले से सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण और हवाई हमलों से उत्पन्न खतरों का मुकाबला करने के लिए मौजूदा वायु रक्षा तंत्र का विस्तार आसान होगा.
उन्होंने कहा, ‘इस वक्त भारत को ऐसे अत्याधुनिक हथियारों की बिक्री खासकर परेशान करने वाली है, क्योंकि यह पहले से ही अस्थिर क्षेत्र को और अस्थिर कर देगा.
अमेरिका का यह फैसला दक्षिण एशिया में सामरिक संतुलन को बिगाड़ देगा और इससे पाकिस्तान और क्षेत्र के लिए गंभीर सुरक्षा निहितार्थ होंगे.
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उन्होंने कहा, ‘अंतरराष्ट्रीय समुदाय पाकिस्तान के खिलाफ भारत की आक्रामक नीति और भारतीय राजनीतिक और सैन्य नेताओं के धमकी भरे बयानों से पूरी तरह से अवगत है.
दक्षिण एशिया हथियारों की दौड़ और टकराव का खतरा नहीं उठा सकता है. इसलिए क्षेत्र को और अस्थिर होने से रोकने का दायित्व अंतरराष्ट्रीय समुदाय पर है.
वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की इस महीने होने वाली भारत यात्रा पर फारूकी ने कहा, ट्रंप ने कई मौकों पर जम्मू कश्मीर विवाद पर मध्यस्थता की पेशकश की और अब ‘वादों के पूरा होने का वक्त है.’
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उन्होंने कहा, ‘हम उन पेशकशों को व्यावहारिक कार्रवाइयों में बदलता देखने की उम्मीद कर रहे हैं. हमें उम्मीद है कि राष्ट्रपति ट्रंप की भारत यात्रा के दौरान जम्मू कश्मीर का विवाद उठाया जाएगा.’
उन्होंने आरोप लगाया कि भारत ने इस साल नियंत्रण रेखा पर 272 बार संघर्ष विराम का उल्लंघन किया, जिसमें तीन नागरिकों की मौत हो गई और 25 अन्य घायल हो गए.