खास बातें:-
- किसानों के ऋण माफी की बातें खोखली, बजट के बावजूद किसानों पर 3000 करोड़ का कर्ज रहेगा.
- धान बेचते ही किसानों को 7 दिन में पैसों के भुगतान का दावा, पर 41 दिनों बाद भी कोई भुगतान नहीं.
- आर्थिक तंगी से किसान कर रहे हैं आत्महत्या.
रांची: वर्तमान सरकार ने 2020-2021 के बजट में किसानों के ऋण माफी के लिए 2000 करोड़ की स्वीकृति दी है. विधायक सुदेश महतो की माने तो झारखंड के किसानों का कुल ऋण लगभग 7000 करोड़ रुपये है, जबकि मौजूदा बजट सिर्फ 2000 करोड़ का प्रावधान है. ऐसे में वर्तमान सरकार का यह बजट सिर्फ एक छलावा है, यहां मतलब साफ है कि 3000 किसानों को अभी कर्ज में दबे रहना होगा या फिर उन्हें भी सुसाइड का सहारा लेना होगा, क्योंकि सरकार तो मदद करने से बजट में ही पीछे हट गई.
किसानों को हफ्तों बाद भी नहीं मिलता भुगतान
झारखंड स्टेट फ़ूड एंड सिबिल सप्लाइज कॉरपोरेशन लिमिटेड द्वारा लैम्प्स के जरिये किसानों के धान की खरीद की गई और तुरंत बाद रसीद के साथ मोबाइल पर SMS मिलता है कि 7 दिनों में आपका भुगतान कर दिया जाएगा.
लेकिन कई हफ्ते बीत जाने के बाद भी किसानों के पैसे का भुगतान नहीं हो सका है. किसान रसीद लेकर भटक रहे हैं. अधिकारियों ने चुप्पी साध रखी है.
आर्थिक तंगी से परेशान किसान कर रहे हैं आत्महत्या
दिनांक 18 फरवरी 2020 को BNN BHARAT ने एक खबर प्रमुखता से प्रकाशित की थी , जिसपर वर्तमान कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने संज्ञान लेते हुए अविलम्ब जांच दिए थे. जिसमें गढ़वा के बसिया के एक किसान ने सुसाइड नोट (“मैं एक किसान हूं आर्थिक तंगी से तंग आकर आत्महत्या कर रहा हूं”) लिख कर ट्रेन से कटकर आत्महत्या कर ली थी, बाद में रिपोर्ट में बताया गया की किसान पर कोई कर्ज नहीं था इसलिए यह आत्महत्या आर्थिक तंगी से नहीं की गई है.
यह दुर्भाग्यपूर्ण है की सरकार सिर्फ झूठे दावे करती है, ऋण माफी की बात सिर्फ बजट तक ही सीमित है. किसानों के लिए शुरू की गई योजनाएं किसानों तक पहुंच ही नहीं पाती है तो क्यों न करें किसान आत्महत्या.
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