संजीत कुमार
देवघर: फाल्गुन मास कृष्ण पक्ष त्रयोदशी तिथि के अवसर पर गुरुवार को बाबा वैद्यनाथ, माता पार्वती सहित अन्य सभी मंदिरों के शिखर से उतारे गए सभी पंचशूलों की सामूहिक पूजा की गई.
सरदार पंडा गुलाबानंद ओझा ने पुरोहितों की उपस्थिति में विधि-विधान से पंचशूल पूजा संपन्न कराया. पंचशूल पूजा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए. पंचशूल पूजा के बाद सबसे पहले बाबा बैद्यनाथ और माता पार्वती मंदिर के शिखर पर पंचशूलों को पुर्नस्थापित कराये जाने की परंपरा है.
इस विशेष पूजा के बाद बाबा और पार्वती मंदिरों के बीच प्रथम गठबंधन भी कराया जाता है. इसी क्रम में अन्य सभी मंदिरों के शिखरों से उतारे गए पंचशूलों को पुर्नस्थापित कराया जाता है. बाबा वैद्यनाथ और माता पार्वती मंदिर के शिखर से बुधवार को पंचशूलों को उतारे जाने के बाद दोनों मंदिरों के बीच गठबंधन भी उतारा गया था. पंचशूलों के पुनर्स्थापना तक दोनों मंदिरों के बीच गठबंधन नहीं रहा।.
ज्ञात हो कि बुधवार को हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में बाबा बैद्यनाथ और माता पार्वती मंदिर के शिखरों से पंचशूलों को उतारा गया था. पंचशूलों को उतारे जाने के बाद दोनों को एक साथ गठबंधन से बांधकर प्रशासनिक भवन में सुरक्षित रख दिया गया था. फाल्गुन मास कृष्ण पक्ष पंचमी तिथि से भगवान गणेश मंदिर से शुरू किए गए पंचशूल खोलने का काम एकादशी तिथि को संपन्न हो गया था.
तीर्थपुरोहितों ने बताया कि बाबा मंदिर प्रांगण अवस्थित सभी 22 मंदिरों के शिखरों से पंचशूल परंपरानुसार उतार लिए गए थे, जिन्हें सामूहिक पूजा के बाद पुर्नस्थापित किया जाता है. साथ ही, पूजा के बाद सबसे पहले गणेश मंदिर उसके बाद बाबा पार्वती मंदिर फिर सभी मंदिरों में पंचशूल लगाया जाता है. इसके बाद आम भक्तों द्वारा गठबंधन चढ़ाने का सिलसिला शुरू हो गया.
पंचशूल पूजा के दौरान मंदिर परिसर में काफी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे. गुरुवार को बाबा मंदिर कार्यालय के गद्दी घर में बाबा वैद्यनाथ व माता पार्वती सहित सभी 22 मंदिरों के पंचशूल की विशेष पूजा की गई.
बहरहाल, पंचशूल की पूजा के बाद उसे स्पर्श करने के लिए कभी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी रही.