रांची: सीएमपीडीआई के तत्वावधान में शनिवार को ‘कोल बेनिफिसियेशन ऑप्टीमाइजेशन ऑफ क्लीन कोल यील्ड ऐट लोवर ऐश प्रसेंटेज’ विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला और राउण्ड टेबल डिस्कशन का आयोजन किया गया. इसका उद्घाटन मुख्य अतिथि कोल इंडिया के निर्देशक (तकनीकी) विनय दयाल और विशिष्ट अतिथि कोयला मंत्रालय के संयुक्त सचिव एम नागराजू ने संयुक्त रूप से किया.
इस अवसर पर मुख्य अतिथि दयाल ने कहा कि भारत में कोकिंग कोल का उत्पादन का बहुतायत हिस्सा वाशरी ग्रेड-5 एवं इससे ऊपर का होता है. उच्च राख प्रतिशतता के कारण भारत में उत्पादित कोकिंग कोल का केवल छोटा हिस्सा मेटलर्जिकल सेक्टर (धातु क्षेत्र) में उपयोग हो पाता है और शेष प्रमुख हिस्से को नॉन- मेटलर्जिकल सेक्टर (गैर-धातु क्षेत्र) में मूल्यवान कोकिंग कोल रिजर्व होने के बावजूद भी उपयोग किया जा रहा है.
स्थिति बेहद गंभीर है क्योंकि हम नॉन- मेटलर्जिकल सेक्टर (गैर-धातु क्षेत्र) के लिए मूल्यवान कोकिंग कोल रिजर्व खो रहे हैं. इस कोल रिजर्व का परिष्करण कर हम विदेशी मुद्रा भंडार में आयात के कारण दवाब को कम कर सकते हैं.
उन्होंने कहा कि यह कार्यशाला सरकारी विदेशी मुद्रा की बचत में सहायक सिद्ध होगा क्योंकि कोकिंग कोयले के आयात को कम करने हेतु ज्ञानी एवं अनुभवी व्यक्तियों को एक मंच प्रदान किया है. हम उपलब्ध संसाधनों के अनुकूलतम पर कार्य करने के लिए कोयला उत्पादकों के साथ वाशरी संचालकों और उपभोक्ता के अधिक एकीकृत जुड़ाव के लिए तत्पर हैं.
विशिष्ट अतिथि कोयला मंत्रालय के संयुक्त सचिव एम नागराजू ने कहा कि भारत सरकार ने एक आत्म-निर्भर इस्पात उद्योग बनाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय इस्पात नीति 2017 लाई है. इस नीति के तहत वर्ष 2030-31 तक 300 एमटीपीए स्टील का उत्पादन करने का परिकल्पना की गई है. इसके लिए लगभग 180 एमटीपीए कोकिंग कोल की आवश्यकता होगी. इसमें कम से कम 35 प्रतिशत स्वदेशी कोकिंग कोल का उपयोग करने के लिए दिशा-निर्देश भी दिए गए हैं. हमारे पास लगभग 27.9 बिलियन टन के मध्यम कोकिंग कोयले का पर्याप्त संसाधन है, जिसमें 8.5 बिलियन टन के भंडार में 35 प्रतिशत से अधिक की राख की मात्रा के कारण परिष्करण के लिए विचार नहीं किया जा रहा है. कोकिंग कोल के पुनर्वर्गीकरण के कारण वाशरी-5 एवं वाशरी-6 नामक ग्रेड जुड़ने से अब यह स्टील सेक्टर में उपयोग हो रहा है, जबकि पहले यह पावर सेक्टर में उपयोग होता था.
इस अवसर पर विशेष आमंत्रित अतिथि सीसीएल के अध्यक्ष-सह-प्रबंध निर्देशक गोपाल सिंह ने कोकिंग कोल के सीमित भंडार का देश हित में स्टील उद्योग में प्रयुक्त करने का आह्वान किया जिससे देश हित में आयात को कम किया जा सके. सभी सम्बद्धीत एजेंसियां यथा सीसीएल, बीसीसीएल, सेल, सीएमपीडीआई आदि को व्यापक विचार कर स्टील उद्योग में इस वर्ग के कोयले को उपयोग में लाने के लिए प्रयास करने पर बल दिया.
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अतिथियों का स्वागत सीएमपीडीआई के निर्देशक के.के मिश्रा ने किया. निर्देशक ए.के राणा ने वर्कशॉप का विषय प्रवेश एवं औचित्य पर प्रकाश डाला. धन्यवाद ज्ञापन निर्देशक आर.एन झा ने किया.
इस अवसर पर कोयला उद्योग के अलावा सेल, टाटा स्टील, सीएसआईआर-सिम्फेर, एनएमएल-जमशेदपुर, एसीबी, डेनियल्स कम्पनी सहित वाशरी संचालकों, संभावित बिडरों/डाक बोलीकर्ताओं, शैक्षणिक संस्थानों, अनुसंधान संस्थानों के जानकार/प्रतिनिधि सम्मिलित हुए.