नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक ने जून में मौद्रिक नीति के फैसले के पीछे खुदरा मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण ढांचे की समीक्षा करने के साथ-साथ इसकी प्रभावशीलता और सरकार के साथ हितधारकों के परामर्शों को रखने की योजना बनाई है. यह जानकारी गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा.
मुद्रास्फीति को निर्दिष्ट स्तर के तहत रखने के लिए, 2016 में सरकार ने आरबीआई गवर्नर की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति का गठन करने का फैसला किया था, जिसे बेंचमार्क नीति दर (रेपो दर) तय करने का काम सौंपा गया था.
छह सदस्यीय पैनल, जिसकी अक्टूबर 2016 में पहली बैठक थी, को 31 मार्च, 2021 तक 6 प्रतिशत की ऊपरी सहिष्णुता और 2 प्रतिशत की कम सहिष्णुता के साथ वार्षिक मुद्रास्फीति बनाएं रखने का जनादेश दिया गया था.
दास ने एक साक्षात्कार में कहा, “मौद्रिक नीति ढांचा साढ़े तीन साल से चल रहा है. हमने इस बात की आंतरिक समीक्षा शुरू कर दी है कि मौद्रिक नीति ढांचे ने कैसे काम किया है.