नई दिल्ली: उत्तर पूर्वी दिल्ली में भड़की हिंसा का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. शीर्ष अदालत ने सोमवार को भजनपुरा, चांदबाग, मौजपुर, बाबरपुर और गोकुलपुरी समेत कई इलाकों में भड़की हिंसा पर सुनवाई को मंजूरी दे दी है.
सर्वोच्च अदालत ने दिल्ली में हुई हिंसा के मामले की सुनवाई जल्द करने की अर्जी मान ली है. भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद के आग्रह पर कोर्ट ने शाहीन बाग में प्रदर्शन मामले को लेकर दायर याचिका की सुनवाई के साथ ही दिल्ली हिंसा पर भी सुनवाई करने की बात कही है. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि शाहीन बाग़ मामले के साथ ही दिल्ली हिंसा को भी सूचीबद्ध किया जाए.
याचिका में बीजेपी नेता कपिल मिश्रा पर दंगा भड़काने का आरोप लगाया गया है. याचिका में कहा गया है कि कपिल मिश्रा ने लोगों को भड़काया और दंगा फैलाया. इसलिए 23 और 24 फरवरी को जितने भी हमले हुए हैं, उन पर पुलिस FIR दर्ज कर कार्रवाई करे. याचिका में उन सभी महिलाओं को सुरक्षा देने की भी मांग की गई है, जो प्रदर्शन कर रही हैं.
याचिका में ये भी कहा गया है कि आरोप है कि यूपी के आसपास के गांवों से असामाजिक तत्व बसों और ट्रकों में दिल्ली में घुस गए हैं और दिल्ली के निवासियों और शांतिपूर्ण प्रदर्शनों पर हमला कर रहे हैं. यह भी आरोप लगाया गया है कि पुलिस हमले में घायल हुए लोगों द्वारा दर्ज की गई शिकायतों पर कार्रवाई करने में विफल रही.
भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद, पूर्व सीआईसी वजाहत हबीबुल्लाह और शाहीन बाग निवासी बहादुर अब्बास नकवी द्वारा दायर याचिका का उल्लेख वकील महमूद प्राचा द्वारा मंगलवार को जस्टिस एस के कौल और जस्टिस के एम जोसेफ के सामने किया गया.
अदालत में याचिका को तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था. पीठ बुधवार को इस पर सुनवाई करने को तैयार हो गई. इसमें सीएए को लेकर शाहीन बाग और राष्ट्रीय राजधानी के अन्य हिस्सों में जारी धरनों में महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अधिकारियों को निर्देश देने की मांग भी की गई है.
इधर, दिल्ली के कुछ हिस्सों में CAA-NRC के समर्थकों और विरोधी गुटों के बीच मंगलवार को भी झड़प होने की खबरें आई हैं. रविवार को भड़की हिंसा में अब तक दिल्ली पुलिस के एक हेड कॉन्स्टेबल समेत 7 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं, हिंसा की वजह से करीब 105 लोग घायल हो गए हैं.