हजारीबाग : जिला प्रशासन छह महीने में भी नहीं जागा. आदेश को ठंडे बस्ते में डाल दिया है. सरकारी जमीन से अतिक्रमण हटाने के लिए अनुमंडल पदाधिकारी से पुलिस बल की मांग की गई थी. छह माह बीत जाने के बाद भी पदाधिकारी ने पुलिस बल उपलब्ध नहीं कराया.
जन संवाद केंद्र में शिकायत
मुख्यमंत्री जन संवाद केंद्र में इससे संबंधित शिकायत (परिवाद पत्र संख्या-2017/59153) दर्ज कराई गई थी. केंद्र के नोडल ऑफिसर ने संबंधित अधिकारियों से इस बारे में जवाब तलब किया था. जिले के सदर अंचल अधिकारी ने उसका जवाब दिया था.
ये लिखा है जवाब में
अंचल अधिकारी ने लिखा है कि परिवाद के आलोक में राजस्व कर्मचारी एवं अंचल निरीक्षक के प्रतिवेदन में बताया है कि उक्त जमीन पर अतिक्रमण है. अतिक्रमित भूमि का सीमांकन अंचल अमीन द्वारा करा लिया गया है. अतिक्रमित भूमि में कुछ दुकान और पक्की संरचना है. इसे हटाने के लिए जिले के अनुमंडल पदाधिकारी से सशस्त्र बल और पुलिस पदाधिकारी प्रतिनियुक्त करने और नगर निगम से जेसीबी एवं अन्य संसाधन उपलब्ध कराने की मांग की गई है. इस संबंध में उन्हें 22 अगस्त, 2019 (पत्रांक-1643) को पत्र लिखा है. सशस्त्र बल, पुलिस पदाधिकारी, जेसीबी और अन्य संसाधन उपलब्ध होते ही जमीन को अतिक्रमण मुक्त करा दी जाएगी.
छोटे दुकानदारों पर तुरंत कार्रवाई
नगर निगम द्वारा छोटे दुकानदारों पर तुरंत कार्रवाई की जाती है. निगम की टीम ने 26 फरवरी, 2020 को डेली मार्किट में कार्रवाई करते हुए मिट्टी का बर्तन बेचने वाले से 1000 रुपये का जुर्माना वसूला. कार्रवाई के क्रम में कई बर्तन तोड़ डाले. आइंदा उक्त जगह पर दुकान नहीं लगाने की हिदायत भी दी.
कार्यशैली पर उठ रहे सवाल
नगर निगम के रवैये से उसकी कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं. लोगों का कहना है कि निगम के अधिकारी फुटपाथ दुकानदारों पर ही कार्रवाई करते हैं. आजीविका के अधिनियम के अंतर्गत फुटपाथ पर दुकान लगाने की उन्हें अधिकार है. सरकार की ओर से सबों को कार्ड भी मुहैया कराया गया है. शहर में बड़े-बड़े होटल, मकान सरकारी जमीन का अतिक्रमण कर बनाये गये हैं. शिकायत के बावजूद उनपर कभी कार्रवाई नहीं की जा रही है. बहाना बनाया जा रहा है.