रांची: निर्भया रेप-मर्डर कांड के चारों गुनहगारों को फांसी देने के लिए मेरठ से पवन जल्लाद को बुलाया गया है. उसकी चार पीढियां जल्लाद का काम करती रही हैं. उसके पिता कालू जल्लाद देश के जाने माने जल्लाद थे. इंदिरा गांधी के हत्यारों को सूली पर फंदे से लटकाने का काम उन्होंने किया था.
पटियाला कोर्ट ने निर्भया के चारों गुनहगारों के खिलाफ डेथ वारंट जारी कर दिया है. इन चारों को फांसी देने का काम पवन जल्लाद करेगा, जिसकी चार पीढ़ियां यही काम करती रही हैं. वो उत्तर प्रदेश सरकार की मेरठ जेल से जुड़ा अधिकृत जल्लाद है. उसे हर महीने एक तय रकम वेतन के रूप में भी मिलती है.
शहर में साइकिल पर कपड़ा बेचने का भी काम करता है पवन
पवन जल्लाद मेरठ का रहने वाला है. कई पीढ़ियों से वो इसी शहर में रह रहा है. हालांकि इस शहर में उसे शायद ही कोई पहचानता हो. पार्ट टाइम में वो इस शहर में साइकिल पर कपड़ा बेचने का का काम करता है. करीब दो तीन साल पहले जब निठारी हत्याकांड के दोषी ठहराए सुरेंद्र कोली को फांसी दी जाने वाली थी, तो उसके लिए पवन को ही मुकर्रर किया गया था. बाद में वो फांसी टल गई.
पवन इस समय करीब 56 साल के हैं. फांसी देने के काम को वो महज एक पेशे के तौर पर देखते हैं. उनका कहना है कि कोई व्यक्ति न्यायपालिका से दंडित हुआ होगा और उसने वैसा काम किया होगा, तभी उसे फांसी की सजा दी जा रही होगी, लिहाजा वो केवल अपने पेशे को ईमानदारी से निभाने का काम करता है.
फांसी के काम में दादा की मदद करता था पवन
हालांकि इस काम से जुड़े हुए उसे चार दशक से कहीं ज्यादा हो चुके हैं. जब वो किशोरवय में था तब अपने दादा कालू जल्लाद के साथ फांसी के काम में उन्हें मदद करता था. कालू जल्लाद ने अपने पिता लक्ष्मण सिंह के निधन के बाद 1989 में ये काम संभाला था.
कालू ने अपने करियर में 60 से ज्यादा लोगों को फांसी दी. इसमें इंदिरा गांधी के हत्यारों सतवंत सिंह और केहर सिंह को दी गई फांसी शामिल है. उन्हें फांसी देने के लिए कालू को विशेष तौर पर मेरठ से बुलाया गया था. इससे पहले रंगा और बिल्ला को भी फांसी देने का काम उसी ने किया था.
वैसे पवन फांसी देने की ट्रेनिंग के तौर पर एक बैग में रेत भरते हैं और उसका वजन मानव के वजन के बराबर होता है. इसी को रस्सी के फंदे में कसकर वो ट्रेनिंग को अंजाम देते हैं. बार-बार प्रैक्टिस इसलिए होती है कि जिस दिन फांसी देनी हो, तब कोई चूक नहीं हो.
मेरठ जेल से पवन को हर महीने 3000 रुपए पगार के रूप में मिलते हैं. उसका घर मेरठ शहर के बाहर बसे उपनगरीय इलाकों में है.