रांची: गर्मी के दिनों में अमूमन पेयजल की समस्या उत्पन्न होती है. यह समस्या ज्यादातर गांवों में होती है, जहां पेयजल सुविधा नहीं पहुंच पायी हो. राज्य में आज भी कई सुदुर गांव है, जहां के ग्रामीण तालाब व कुआ पर आश्रित हैं. हर साल गर्मी के दिनों में लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. खास कर महिलाओं को सरकार की ग्रामीण जलापूर्ति योजनाओं के हाल पर गौर करें तो राज्य में इस योजना से संबंधित 369 योजनाएं स्वीकृत हुई हैं. परंतु इनमें से 176 योजनाएं ही अब तक पूरी हुई हैं. ये आंकड़े वर्ष 2014-15 से लेकर 2019-20 तक है. सबसे बुरा हाल राज्य द्वारा संचालित योजनाओं का है.
राज्य सरकार द्वारा राज्य में 184 योजनाएं स्वीकृत की गयी, इनमें मात्र 97 योजनाएं ही पूरी हुई हैं. यानी फिलहाल, 50 फीसदी ही काम हुए हैं. इनमें डिस्ट्रिक्ट मिनिरल्स फंड ट्रस्ट (डीएमएफटी) के तहत झारखंड में 95 योजनाएं संचालित की जा रही हैं.
वहीं, नेशनल रुरल ड्रिकिंग वाटर प्रोग्राम (एनआरडीडब्ल्युपी) से जुड़ी 72 योजनाएं चल रही हैं. वर्ष 2017-18 में सर्वाधिक 108 योजनाएं स्वीकृत की गयी थी. इनमें से मात्र 20 योजनाएं ही पूरी हुईं. जबकि, वर्ष 2018-19 में 68 स्वीकृत योजनाओं में से 22 योजनाएं ही पूरी हो पायी.
इस संबंध में विधायक दिनेश विलियम मरांडी ने सदन में मामला उठाया था. जिस पर विभागीय मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने योजनाओं के हाल पर अपनी बातें रखीं. उन्होंने सदन को बताया कि सरकार इस दिशा में कार्रवाई कर रही है. उन्होंने बताया कि वर्ष 2014-15 से से विधायकों की अनुशंसा के अनुरुप राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में जलश्रोतों पर आधारित बहु-ग्रामीण पाईप जलापूर्ति योजनाएं स्वीकृत की गयी हैं.
आंकड़ों में योजनाओं को जानें:
- वर्ष 2014-15 में स्वीजकृत योजनाओं की संख्या 34 है, इनमें 22 योजनाएं पूर्ण हुईं.
- वर्ष 2015-16 में योजनाओं की संख्या 39 है, इनमें 24 योजनाएं पूर्ण हुईं.
- वर्ष 2016-17 में योजनाओं की संख्या 46 है, इनमें 37 योजनाएं पूर्ण हुईं.
- वर्ष 2017-18 में योजनाओं की संख्या 108 है, इनमें 20 योजनाएं पूर्ण हुईं.
- वर्ष 2018-19 में योजनाओं की संख्या 68 है, इनमें 22 योजनाएं पूर्ण हुईं.