रांची: झारखंड विधानसभा में निर्दलीय विधायक सरयू राय ने मंगलवार को पहली पाली में सूचना के माध्यम से उन्होंने विधानसभा कक्ष में अध्यक्ष के तेईसवीं (आसन) की पृष्ठभूमि में उपर की ओर राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तम्भ स्थापित किये जाने का मामला उठाया.
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उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष का ध्यान आकृष्ट किया कि यह अवैधानिक है, इसे किसी के आदेश पर लगाया गया है या भवन निर्माण करने वाले ठेकेदार ने विधानसभा की गरिमा के मद्देनजर अपने मन से लगा दिया है, जल्द ही पता किया जाना चाहिये.
उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह लगाने का अधिकार किन्हें है, किस भवन पर, किसके वाहन पर, किसके लेटरहेड या विजिटिंग कार्ड पर इसका इस्तेमाल किया जायेगा, इस बारे में भारत सरकार ने एक अधिनियम बहुत पहले से बनाया हुआ है. जिसमें यह लिखा है कि प्रतीक का इस्तेमाल किस प्रकार किया जा सकता है.
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वर्तमान परिस्थिति में झारखंड विधान सभा भवन के भीतर या बाहर , झारखंड सचिवालय या किसी सरकारी भवन पर इसे नहीं लगाया जा सकता. कोई मंत्री- संतरी, प्रशासन-पुलिस का अधिकारी अपने वाहन या लेटरहेड या विजिटिंग कार्ड का इस्तेमाल नहीं कर सकता. कारण कि झारखंड सरकार 20 वर्षों में भारत सरकार के अधिनियम को अभीतक अंगीकार नहीं किया है.
उन्होंने कहा कि झारखंड के योग्य व्यक्तियों द्वारा तबतक इसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता जबतक झारखंड सरकार इसे विधिसम्मत तरीका से अंगीकार नहीं कर लेती, विधायक अवश्य इसका उपयोग कर सकते हैं. इसलिये कोई सरकारी संस्था या व्यक्ति या भवन किसी भी प्रकार से राष्ट्रीय प्रतीक का इस्तेमाल कर रहे हैं तो वह गैरकानूनी है. कोई भी जागरूक नागरिक इसके विरूद्ध न्यायालय जा सकता है. इसलिये आवश्यक है कि सरकार अविलंब इसका इस्तेमाल गैरकानूनी घोषित करे.सरयू राय ने मांग की विधानसभा एवं अन्य सरकारी भवनों के भीतर- बाहर से इसे अविलम्ब हटवाये. इसके बाद यदि सरकार को उचित प्रतीत होता है तो राष्ट्रीय प्रतीक उपयोग अधिनियम को अंगीकार करे, विधिवत अधिसूचना जारी करे, तब विधिसम्मत तरीका से इसका उपयोग हो.