रांची: प्रदेश कांग्रेस कमिटी के कार्यकारी अध्यक्ष केशव महतो कमलेश, पूर्व विधायक ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा विधानसभा में वित्त रहित शिक्षा नीति समाप्त करने हेतु कमिटी गठित करने की घोषणा का स्वागत किया है.
कमलेश ने कहा है कि वित्तरहित शिक्षण संस्थानों के शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को सिर्फ अनुदान पर निर्भर रहना पड़ता है जिससे काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. वित्तरहित शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई भी नियमित रूप से गुणवत्तायुक्त होती है जिससे परीक्षाफल भी अच्छा होता है. लेकिन अनुदान की राशि काफी कम होने के कारण अपने बच्चो का पढ़ाई-लिखाई भी ठीक से नहीं कर पाते हैं. बहुत सारे ऐसे शिक्षक हैं जिन्होंने अपनी सेवा वित्तरहित शिक्षण संस्थानों में दी, पर उन्हें किसी प्रकार का वित्तीय लाभ नहीं मिल सका और वे सेवानिवृत हो गये.
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ज्ञातव्य है कि राज्य में 177 प्रस्वीकृत इंटर महाविद्यालय तथा 100 प्रस्वीकृति हेतु प्रक्रिया में है, उसी तरह 160 प्रस्वीकृति प्राप्त उच्च विद्यालय एवं 100 स्थापना अनुमति प्राप्त उच्च विद्यालय हैं जिन्हें सरकार द्वारा अनुदान प्राप्त होता है. इसी तरह 36 प्रस्वीकृति प्राप्त संस्कृत उच्च विद्यालय, 43 मदरसा विद्यालय है जिन्हें अनुदान प्राप्त होता है, जिसमें करीब 8,000 शिक्षक एवं शिक्षेकत्तर कर्मचारी कार्यरत हैं.
वित्त रहित शिक्षा नीति 1981 से लागू है. 39 वर्ष से आर्थिक संकट में जूझ रहे शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारियों में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा सदन में वित्त रहित समाप्त करने हेतु कमिटी गठित करने की घोषणा से काफी उत्साह एवं खूशी की लहर दौड़ गयी है.