मुंबई: कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बढ़ने के बीच शिवसेना ने सोमवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी का फैसला अचानक लिया और इसी तरह का रुख रेल सेवा पर रोक लगाने के संबंध में भी अपनाया.
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जबकि रेल सेवाओं पर बहुत पहले ही रोक लगा दी जानी चाहिए थी. शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में लिखा कि मुंबई में लोकल ट्रेनों समेत रेल सेवाओं पर अगर पहले ही रोक लगा दी गई होती तो कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या में इतनी वृद्धि नहीं होती.
पार्टी ने आशंका जताई कि भारत कोरोना वायरस के मामले में इटली और जर्मनी की राह पर हो सकता है. जिन्होंने वैश्विक महामारी के खतरे को गंभीरता से नहीं लिया जिसके चलते वहां वायरस से हजारों लोगों की मौत हो गई.
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पार्टी ने पूछा प्रधानमंत्री अपने फैसलों से लोगों को ‘चौंकाने’ के लिए जाने जाते हैं. नोटबंदी के वक्त उन्होंने लोगों को प्रतिक्रिया देने के लिए बहुत कम समय दिया था तो इस वैश्विक महामारी के चलते इतना समय क्यों लिया गया?
संपादकीय में दावा किया गया कि मुंबई में उपनगरीय ट्रेनों को प्राथमिकता से रोका जाना चाहिए था लेकिन भारतीय रेलवे के अधिकारी ‘इसके लिए इच्छुक नहीं’ थे.