रांची: विश्वव्यायपी कोरोना से निपटने के लिए राज्य के 65 हजार पारा शिक्षक मुख्यमंत्री राहत कोष में एक करोड़ रुपये देंगे.
एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा के राज्य इकाई के सभी 8 सदस्यों ने झारखंड सरकार के शिक्षा मंत्री, शिक्षा सचिव एवं निदेशक, झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद से आग्रह किया है कि राज्य में कार्यरत सभी 65 हजार पारा शिक्षकों के माह मार्च 2020 के मानदेय से प्रति पारा शिक्षक 155/- (एक सौ पचपन रुपये मात्र ) काटकर अविलंब मुख्यमंत्री राहत कोष में 1 करोड़ रुपये जमा कराएं.
कुछ पारा शिक्षकों ने व्यक्तिगत रूप से भी मुख्यमंत्री राहत कोष में सहयोग किया है. ये राशि उस व्यक्तिगत राशि के अतिरिक्त होगी.
झारखंड के सभी 65 हजार पारा शिक्षक इस व्यापक महामारी में झारखंड के युवा एवं संवेदनशील मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ हैं.
हम सभी इस बात के लिए भी प्रतिबद्ध हैं कि भविष्य में यदि और सहयोग की आवश्यकता होगी तो पारा शिक्षक अपने सामाजिक दायित्व के निर्वहन हेतु यथासंभव तैयार हैं.
साथ ही 11 – 12 माह से पूर्व की भाजपा सरकार एवं शिक्षा विभाग की संवेदनहीनता से बिना मानदेय कार्य कर रहे लगभग 5 हजार पारा शिक्षकों (एनसी एबी अंकित अप्रशिक्षित पारा शिक्षक, एनसी/एबी क्लियर पारा शिक्षक एवं पलामू के छतरपुर नौडीहा प्रखंड के पारा शिक्षकों) की मदद करेंगे सभी पारा शिक्षक साथी.
इसके लिए प्रत्येक जिला कमेटी के जिलाध्यक्ष, जिलासचिव, जिला कमेटी के सदस्य को जिम्मेदारी दी जाती है.
राज्य की प्रत्येक जिला कमेटी के जिलाध्यक्ष, जिला सचिव अपनी कमेटी के सक्रिय साथियों के सहयोग से अपने सभी प्रखंडों से ऐसे पीड़ित साथियों की सूचि प्राप्त करें.
पीड़ित पारा शिक्षकों की संख्या एवं अपने जिले के पारा शिक्षकों की कुल संख्या के अनुपात में राशि का निर्धारण करें.
जिला कमेटी की निगरानी एवं निर्देश पर सभी प्रखंड/संकुल इकाइयां पारा शिक्षकों से सहयोग राशि प्राप्त करेंगे.
कम से कम ऐसे साथी को तत्काल 5,000/- (पांच हजार रुपये) दिया जाए.
उदाहरण के लिए यदि किसी जिले में ऐसे पारा शिक्षकों की संख्या 200 है और पारा शिक्षकों की कुल संख्या 2000 है.
तो उस जिले के सभी परेशान साथियों को 5 हजार रुपये देने के लिए दस लाख रुपये की आवश्यकता होगी एवं प्रति पारा शिक्षक 500/- की राशि के निर्धारण की आवश्यकता होगी.
सरकार एवं विभाग से ऐसे साथियों के भुगतान हेतु लगातार सांगठनिक प्रयास जारी है. इस महामारी से निबटने के पश्चात ऐसे साथियों के बकाए भुगतान को लेकर संघर्ष तेज किया जाएगा.
बिनोद बिहारी महतो, संजय कुमार दुबे, हृषिकेश पाठक, प्रमोद कुमार, नरोत्तम सिंह मुंडा, मोहन मंडल, दशरथ ठाकुर, प्रद्युम्न कुमार सिंह (सिंटू).