रांची: मां का पांचवा स्वरूप है स्कंदमाता. नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा अर्चना की जाती है. स्कंदमाता को सृष्टि की पहली प्रसूता स्त्री माना जाता है. भगवान स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता होने के कारण इन्हें स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है.
ऐसा है मां का स्वरूप
स्कंदमाता शेर पर सवार रहती हैं. उनकी चार भुजाएं हैं. ये दाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा से स्कंद को गोद में पकड़े हुए हैं. नीचे वाली भुजा में कमल का पुष्प है.
मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
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चढ़ावा
मां को केले का भोग अति प्रिय है. इन्हें केसर डालकर खीर का प्रसाद भी चढ़ाना चाहिए.
पूजा
मां के श्रृंगार के लिए खूबसूरत रंगों का इस्तेमाल किया जाता है. स्कंदमाता और भगवान कार्तिकेय की पूजा विनम्रता के साथ करनी चाहिए. पूजा में कुमकुम, अक्षत से पूजा करें. चंदन लगाएं. तुलसी माता के सामने दीपक जलाएं. पीले रंग के कपड़े पहनें.
मनोकामना
मां स्कंदमाता की पूजा पवित्र और एकाग्र मन से करनी चाहिए. स्कंदमाता की उपासना से भक्त की सारी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं. इसके अलावा जिनके संतान नहीं हैं उन्हें संतान की प्राप्ति होती है.