रांची: यह जो नीली कमीज वाला व्यक्ति मजदूरों के साथ सड़क पर ही बैठकर खाना खा रहा है, जब उनसे पूछा गया की सर और रोटी चाहिए? तो उसने दो टूक में जवाब दिया नहीं. सबको दो ही रोटी मिल रही है तो मैं भी दो रोटी ही खाऊंगा. यह कह कर उठ गए. यह सख्श और कोई नहीं बल्कि, ज्यां द्रेज हैं जिन्होंने गरीबों और असहाय लोगों के हक और अधिकार दिलाने में अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया.
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यूपीए सरकार में राष्ट्रीय सलाहकार समिति में भी रहे
ज्यां द्रेज यूपीए शासन काल में राष्ट्रीय सलाहकार समिति के सदस्य रह चुके हैं. मनरेगा की ड्राफ्टिंग भी इन्होंने ही की थी.
इनकी सादगी के कायल हैं लोग
बेल्जियम में पैदा हुए ज्यां द्रेज पूरे देश में एक जाना-माना नाम है. लंदन ऑफ इकोनॉमिक्स में शिक्षक की भूमिका में भी रहे, इसके बाद वे भारत चले आये. तब से लेकर अब तक भारत में ही हैं और इन्होंने अपनी कर्मस्थली झारखंड को ही चुना.
साइकिल पर ही दिखते हैं
ज्यां द्रेज गाड़ियां नहीं बल्कि, साइकिल ही चलाते हैँ. जहां भी जाना होता है, वो साइकिल से जाते हैं. इलाहाबाद यूनिवर्सिटी जीबी पन्त सोशल साइंस में विजिटिंग प्रोफेसर के तौर पर रहे. वे इलाहाबाद से झांसी स्थित विवि साइकिल से ही आना-जाना करते थे. इनकी खासियत रही है कि ये हिंदी में ही बात करते हैं वो भी बिना हिचकिचाए.