रांची: पिछले कई दशकों में ऐसा पहली बार हुआ है कि सरहुल कब आया और कब चला गया इसका एहसास तक नहीं हुआ. सरहुल की शोभायात्रा में रांची का मेन रोड प्रकृति पूजकों से अटा पड़ा रहता था. लाखों की संख्या में ढोल मांदर और नगाड़ों की थाप पर लोग शोभायात्रा में शामिल होते थे.
इस वर्ष शहर की सड़कों पर सन्नाटा ही पसरा रहा, ऐसा इसलिए हुआ की कोरोना वायरस की वजह से तकरीबन पूरी दुनिया लॉकडाउन की स्थिति में है.
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झारखंड में भी लोग घरों के अंदर कैद हैं. अब चंद दिनों में ही रामनवमी का त्यौहार आने वाला है. अभी शहर के चौक चौराहों पर सन्नाटा व्याप्त है. ना तो रंग-बिरंगे महावीरी झंडे दिख रहे हैं और ना ही चौक चौराहों पर ढ़ोल ताशे की आवाज सुनाई पड़ रही है.
रामनवमी में अपने करतबों का प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ी भी अपने घरों में रहने पर विवश हैं. उनका अभ्यास भी बंद है. इस वर्ष रामनवमी की शोभायात्रा भी स्थगित कर दी गई है. श्रद्धालु घर में ही रामलला की पूजा कर लेंगे.
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यह समय ईसाइयों के लैंट ( चालीसा काल) का भी है. कुछ ही दिनों में गुड फ्राइडे और ईस्टर का भी पर्व मनाया जाएगा पर गिरजाघरों के दरवाजे भी बंद है. ऐसे समय में सभी लोग बस यही दुआ कर रहे हैं कि जल्द से जल्द इस महामारी का अंत हो और स्थिति सामान्य हो.