लोकसभा में शुक्रवार को रेलवे के निजीकरण की विपक्ष की आशंकाओं को सिरे से खारिज करते हुए रेल मंत्री पीयूष गोयल ने साफ किया कि इसका ‘कोई निजीकरण कर ही नहीं सकता और इसके निजीकरण का कोई मतलब नहीं है।’ उन्होंने कहा कि ‘राजनीतिक लाभ के लिए नई ट्रेनों का सपना दिखाने’ की बजाए नरेंद्र मोदी सरकार ने सुविधाएं एवं निवेश बढ़ाने के लिए निजी सार्वजनिक साझेदारी (पीपीपी) आमंत्रित करने का इरादा किया है।
लोकसभा में वर्ष 2019-20 के लिए रेल मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदानों की मांगों पर गुरुवार को देर रात तक चली चर्चा का शुक्रवार को जवाब देते हुए रेल मंत्री ने कहा, ‘मैं बार-बार कह चुका हूं कि रेलवे का निजीकरण नहीं किया जाएगा।’ उन्होंने कहा कि लेकिन कोई सुविधा बढ़ाने की बात करे, प्रौद्योगिकी लाने की बात करे, कोई नया स्टेशन बनाने की बात करे, कोई हाई स्पीड, सेमी हाई स्पीड ट्रेन चलाने की बात करे, स्टेशन पर सुविधा बढ़ाने की बात करें तो इसके लिए निवेश आमंत्रित किया जाना चाहिए।
पीयूष गोयल ने कहा कि रेलवे में सुविधा बढ़ाने, गांवों और देश के विभिन्न हिस्सों को रेल संपर्क से जोड़ने के लिए बड़े निवेश की जरूरत है। अच्छी सुविधा, सुरक्षा, हाई स्पीड आदि के लिए पीपीपी को प्रोत्साहित करने का सरकार ने निर्णय किया है। रेल मंत्रालय के अनुदान की मांग पर चर्चा के दौरान गुरुवार को कांग्रेस, तृणमूल, द्रमुक सहित विभिन्न विपक्षी दलों ने सरकार पर आरोप लगाया कि आम बजट में रेलवे में पीपीपी, निगमीकरण और विनिवेश पर जोर देने की आड़ में इसे निजीकरण के रास्ते पर ले जाया जा रहा है।
विपक्ष ने सरकार को घेरते हुए कहा कि सरकार को बड़े वादे करने की बजाए रेलवे की वित्तीय स्थिति सुधारने तथा सुविधा, सुरक्षा एवं सामाजिक जवाबदेही का निर्वहन सुनिश्चित करना चाहिए। इस पर गोयल ने कहा, ‘रेलवे बजट पहले जनता को गुमराह करने के लिए होते थे, राजनीतिक लाभ के लिए नई ट्रेनों के सपने दिखाए जाते थे।’ उन्होंने कहा कि पहले की सरकारों के दौरान रेल संबंधी घोषणाएं जनता को गुमराह करने और चुनाव जीतने के लिए किए जाते थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेल बजट का आम बजट में विलय करने की पहल करके देशहित का काम किया है। अब जो काम किया जा सकता है, उसकी घोषणा होती है और काम होता है। रेलवे के निजीकरण करने के विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए पीयूष गोयल ने कहा कि रेलवे में बाहर से निवेश को आमंत्रित करने के लिए ‘कॉरपोरेटाइजेशन’ की बात कही गई है। इसका भी फैसला पूर्ववर्ती संप्रग सरकार के दौरान हुआ था, अब इसे आगे बढ़ाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि रेल की बेहतरी और सुविधाओं को बढ़ाने के लिए अगले 10-12 साल में 50 लाख करोड़ रूपए के निवेश करने का इरादा किया गया है। हम नई सोच और नई दिशा के साथ काम कर रहे हैं। क्षमता उन्नयन के लिए छह लाख करोड़ रूपये, माल ढुलाई क्षमता को बेहतर बनाने के लिए 4.5 लाख करोड़ रूपये, स्वर्ण चतुर्भुज क्षेत्र में गति बढ़ाने के लिए 1.5 लाख करोड़ रूपये खर्च करने का इरादा किया गया है।