पिछले छह महीने में देश में देशभर में बच्चियों से दुष्कर्म की 24 हजार मामले दर्ज किए गए हैं. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए इस पूरे मामले का परीक्षण करने का निर्णय लिया है. इन घटनाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताते हुए वरिष्ठ वकील वी गिरी को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने आंकड़े गिरी को देकर कहा है कि वह इसका अध्ययन करें और सोमवार को इसके बारे में सुझाव दें कि कोर्ट क्या निर्देश जारी कर सकता है.
चीफ जस्टिस गोगोई ने कहा कि हम इस पर गौर करेंगे कि क्या ऐसे मामलों के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाई जा सकती है. क्या ऐसे मामलों के लिए स्पेशल कोर्ट बनाया जा सकता है. इस तरह की घटनाओं से आहत चीफ जस्टिस ने 1 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री को रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा था.
पीठ ने वरिष्ठ वकील वी. गिरि को न्यायमित्र नियुक्त करते हुए कहा कि वह ऐसे मामलों से निपटने के लिए राज्यों को ढांचागत संसाधन जुटाने, कार्यवाही की वीडियो रिकार्डिंग करने जैसे दिशा-निर्देश जारी करने पर अपने सुझाव दें। कोर्ट में मौजूद सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी मामले पर चिंता जताते हुए कहा कि सरकार भी इन मामलों के प्रति संवेदनशील है और वे कोर्ट को इस मामले की सुनवाई में पूरा सहयोग करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री ने सभी राज्यो से आए आंकड़ों को एकत्रित किया है जिससे पता चलता है कि देश भर में एक जनवरी से तीस जून के बीच बच्चों से दुष्कर्म की कुल 24,212 एफआइआर दर्ज हुईं। इसमें से 11,981 में अभी जांच चल रही है। जबकि 12,231 मामलों में पुलिस आरोपपत्र दाखिल कर चुकी है लेकिन इनमें से ट्रायल सिर्फ 6449 केस का ही चल रहा है। 4871 मामलों में अभी ट्रायल शुरू नहीं हुआ है। ट्रायल कोर्ट ने अभी तक 911 मामलों में फैसला सुनाया है जो कि कुल संख्या का मात्र चार फीसद है।
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने गत एक जुलाई को रजिस्ट्री से कहा था कि वह राज्यों से मुख्यता दो मुद्दों पर रिपोर्ट एकत्र करे। पहला कि एक जनवरी से अभी तक बच्चों से दुष्कर्म के देश भर मे कुल कितने मामले दर्ज हुए हैं और दूसरा, उनकी जांच व आरोपपत्र दाखिल होने में कितना समय लगा तथा कोर्ट में लंबित होने की क्या स्थिति है। इन चीजों पर एकत्रित आंकड़ों से उपरोक्त स्थिति पता चली। आंकड़ों से पता चलता है कि उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 3457 घटनाएं हुईं जिसमें से 1779 मे अभी जांच चल रही है। मध्य प्रदेश दूसरे नंबर पर है।
उल्लेखनीय है कि निर्भयाकांड के बाद से कानून में संशोधन करके दुष्कर्म के मामलों में मृत्युदंड का प्रावधान किया गया। हाल ही में राजग सरकार की कैबिनेट ने पोक्सो एक्ट में संशोधन को मंजूरी देते हुए बच्चों से दुष्कर्म पर फांसी की सजा का प्रावधान किया है।