रांची: झारखंड का आपदा विभाग खुद आपदा से ग्रस्त है. अगर बाढ़, भूकंप और अगजनी की घटना हो तो यहां का प्रबंधन दूसरे राज्य करते हैं. इस मामले में राज्य पूरी तरह से दूसरे राज्यों में निर्भर है. खासकर बरसात के समय में राज्य NDRF की बाट जोहने को मजबूर हो जाता है. मानसून के दिनों में आम तौर पर पश्चिमी सिंहभूम, गढ़वा सहित अन्य जिलों में बाढ़ की स्थिति बन जाती है.
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इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर नहीं
आपदा प्रबंधन विभाग का कोई भी इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर नहीं है. स्टेट डिजास्टर ऑथिरिटी (आपदा प्रबंधन प्राधिकार) का प्रशासनिक ढांचा भी अस्तित्व में नहीं आ पाया है. प्राधिकार का कोई विंग नहीं है. नियमत: प्राधिकार में आपदा विशेषज्ञ, सूचना तंत्र, प्रचार-प्रसार, प्रशिक्षण और प्रशासनिक एवं वित्तीय विंग होना चाहिये, लेकिन झारखंड में सिर्फ आपदा विभाग है. यह सिर्फ निर्देश और नीतिगत मामलों पर निर्णय लेने तक ही सीमित है.
आपदा प्रबंधन एक्ट में प्रावधान
वर्ष 2005 में आपदा प्रबंधन एक्ट पास हुआ था. इसके तहत राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर रिलीफ फोर्स के गठन का प्रावधान है. एक्ट के अध्याय दो में यह भी प्रावधान है कि राज्यों में स्टेट डिजास्टर ऑथिरिटी का होना जरूरी है. झारखंड में इसकी कवायद शुरू तो हुई पर यह क्रियाशील नहीं हो पाया. आपदा विभाग में एक सचिव, एक संयुक्त सचिव और कुछ अधिकारियों-कर्मचारियों के भरोसे ही प्रबंधन टिका है. आपदा के समय झारखंड को सिर्फ एनडीआरएफ और पब्लिक सेक्टर की कंपनियों का ही भरोसा है. अभी भी श्रावणी मेला में एनडीआरएफ की टीम की तैनाती की गयी थी.
आपदा प्रबंधन का कैडर भी नहीं
झारखंड में आपदा प्रबंधन के लिये अलग से कोई कैडर नहीं है. वहीं दूसरे राज्यों में आपदा प्रबंधन के लिये कैडर है. पश्चिम बंगाल, आंध्रप्रदेश, गुजरात सहित कई अन्य राज्यों में आपदा प्रबंधन का कैडर है. इन राज्यों में डिविजनल डिजास्टर ऑफिस, डिस्ट्रीक मैनेजमेंट ऑफिसर, ब्लॉक डिजास्टर मैनेजमेंट ऑफिसर और पंचायत डिजास्टर मैनेजमेंट ऑफिसर हैं. इन राज्यों में आपदा से निपटने के लिये डिजास्टर रेस्पांस बटालियन भी है.
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धरी की धरी रह गयी योजना
आपदा प्रबंधन के लिये कई योजनाएं बनायी गयीं, लेकिन सभी धरी की धरी रह गईं. पहले चरण में 132 लोगों की टीम तैयार करनी थी. इसमें भूतपूर्व सैनिकों को शामिल किया जाना था. एनडीआरएफ की टीम इन्हें प्रशिक्षण देती. मत्स्य मित्रों को आपदा मित्र बनाना था. लगभग 3600 मत्स्य मित्रों को प्रशिक्षण देने की योजना बनायी गयी थी. ये सभी योजनायें धरी की धरी रह गयी.
आपदा से निपटने के लिए बनेगा प्राधिकार
आपदा विभाग के मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि आपदा से निपटने के लिए प्राधिकार बनेगा, जिसका प्रारूप तैयार किया जा रहा है. प्राधिकार के अध्यक्ष मुख्यमंत्री और उपाध्यक्ष आपदा मंत्री होंगे. इसमें एक कमेटी भी गठित की जाएगी. जिसमें गृह सचिव, वित्त सचिव, आपदा सचिव समेत कई अन्य लोग होंगे.
गरीब और आदिवासी बच्चों को प्रशिक्षण
मंत्री ने यह भी कहा कि वैसे बच्चे जो गरीब और आदिवासी परिवार से आते हैं, जो तैराकी में अच्छे हैं उनका आंकलन किया जाएगा. उसके बाद एनडीआरएफ की ओर से उन्हें ट्रेनिंग दी जाएगी. झारखंड की भूमि में अनेक प्रकार के अयस्क मौजूद है, जिसे निकालने में कई लोगो की मौत हो जाती है. इसके साथ साथ बहुत प्रकार की परेशानियां होती है. इन क्षेत्रों में वज्रपात भी बहुत बड़ी समस्या है. इससे बहुत से लोगों की जान चली जाती है. इसे रोकने के लिए आपदा प्रबंधन का अहम रोल है.