रांची: कोरोना संकट के लॉकडाउन की अवधि में केंद्र सरकार ने किसानों और उपभोक्ताओं के हित में अनेकों छूट दिये है. यह छूट इस अवधि में खड़ी फसल की कटाई एवं भण्डारण, बाजार में सब्जी, फल, दूध, चारा, उर्वरक एवं कीटनाशी आदि की आपूर्ति बनाये रखने हेतु जारी किये गये है, जिससे तात्कालिक संकट का सामना करने का प्रयास मात्र कहा जा रहा है. इस संकट ने किसानों की माली हालात बिगाड़ दी है, परिणामस्वरूप आगे चलकर खाद्यान्न, सब्जी एवं फल की किल्लत हो सकती है.
रबी मौसम में भी हुआ है नुकसान
रबी मौसम में किसानों को तीन महीनों तक अनियमित वर्षापात एवं ओले से काफी फसल की क्षति उठानी पड़ी है. खेत में लगी रबी फसलों में गेहूं, सरसों, मटर, तीसी व चना के साथ सब्जी एवं फल की खेती में काफी नुकसान हुआ. सीमित स्तर पर कुछ किसान सब्जी एवं फल की खेती से आस लगाये हुए थे. कोरोना संकट में किसानों को सब्जी उत्पादों का सही मूल्य नहीं मिल रहा. वे लॉकडाउन में अपने उत्पादों को शहर एवं अन्य राज्यों में भेजने में असमर्थ है. इस स्थिति में छोटे और मझोले किसानों के समक्ष आगे की खेती के लिए समस्या खड़ी हो गई है. बड़े किसानों के भी हालात कमोबेश एकसमान ही है.
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खड़ी फसल बिक्री का प्रबंध नहीं
किसानों के लिए नकद फसल के बिक्री हेतु कोई व्यवस्था नहीं है. सरकार स्तर से रबी फसलों की खरीद के लिए कृषि विपणन केन्द्रों की व्यवस्था नहीं है. बाजार व्यवस्था सीमित होने से किसान अपने फसल को स्थानीय स्तर पर बेचने में असमर्थ है. इससे आगामी खेतीबारी बाधित होगी और देश व राज्य में खाद्यान्न एवं सब्जी की किल्लत बढ़ेगी.
गरमा फसलों की खेती पर असर
मौसम की मार और कोरोना संकट का असर गरमा फसलों की खेती पर पड़ा है. आर्थिक संकट का सामना कर रहे किसान रबी फसलों के बाद खाली खेतों में गरमा फसल लगाने में असमर्थ हैं. इस मौसम में किसान गरमा धान, मूंग, उड़द व मक्का की खेती आसानी से कर लेते थे. गर्मियों का यह मौसम कद्दूवर्गीय सब्जियों में तोरई, कद्दू , खीरा, लौकी, करेला, खरबूज एवं तरबूज आदि की खेती के लिए उपयुक्त है.
किसान खेती करने में लाचार
किसानों के नुकसान की भरपाई कुछ हद तक गरमा फसलों की खेती से संभव थी, लेकिन कोरोना संकट के समाधान के प्रयास में सरकार की ओर से किसानों की लाचारी पर कोई कदम नहीं लिये गये है. दो महीनों के बाद खरीफ मौसम की खेती शुरू होगी. प्रदेश की खेती मुख्यतः खरीफ फसलों की खेती पर निर्भर है. इस मौसम में राज्य के बड़े भूभाग में धान, मक्का, रागी, मूंगफली, सोयाबीन, अरहर, उड़द एवं सब्जी फसलों की खेती की जाती है. जरूरत इस बात की है कि सरकार का ध्यान आगामी खाद्यान संकट के समाधान की ओर आगे बढे. वैश्विक विपदा की इस घड़ी में अन्नदाता किसान की आर्थिक समस्या का जमीनी समाधान खोजना होगा अन्यथा आने वाले समय में खाद्यान, सब्जी एवं फल की किल्लत गंभीर समस्या खड़ी कर सकती है.