जमशेदपुर: एक तरफ पूरा देश लॉक डाउन पर है. कोरोना से बचाओ का एक मात्र उपाय है घर से बाहर नहीं निकलना. लोग अपने-अपने घरों में दिन बिता रहे हैं. लेकिन ट्रेनों और बच्चों के जन्म पर आशीर्वाद और बधाइयां देकर अपना जीवन यापन चलाने वाले किन्नरों का लॉक डाउन के दौरान हाल बेहाल हो गया है. आपको बता दें जमशेदपुर शहर में लगभग 200 किन्नरों की संख्या है, जहां सभी किन्नर अब दाने-दाने को मोहताज है. सामाजिक संस्थाएं या जिला प्रशासन सड़क पर भटक रहे लोगों को भोजन करा रही है, लेकिन घरों में बैठे इन किन्नरों को देखने वाला कोई नहीं है. अब तो इन किन्नरों के सब्र का बांध भी टूट गया है. भोजन किए 4 दिन बीत चुका है, जब बर्दाश्त नहीं हुआ तो सभी किन्नर उपायुक्त कार्यालय पहुंचे और उपायुक्त से 2 वक्त की रोटी के लिए गुहार लगाया.
इन लोगों का कहना है कि जिस भाड़े घर में ये रहते हैं उस मालिक ने भी सारा सामान फेंक दिया और घर से बेघर कर दिया. अब ये किन्नर जाएं तो कहां जाएं. पहला इनके सामने सर छुपाने की समस्या और दूसरा पेट की आग बुझाने की चिंता, इन्हें खाए जा रहा है. क्योंकि इनके पास ना तो राशन कार्ड है और ना ही अपना घर.
उधर भूख से तड़प रहे सभी किन्नर वक्त को बद्दुआ देते हुए अपने पेट की आग बुझाने के लिए प्रशासन से मदद मांग रहा है. जबकि राज्य सरकार लगातार सभी उपायुक्तों को आदेश दे रही है कि कोई भूखा ना सोए, जिनके पास राशन कार्ड है या जिनके पास कार्ड नहीं है उन्हें भी राशन पहुंचाया जाए लेकिन जमशेदपुर में राशन दुकानदारों की मनमानी भी चल रही है. उधर इन किन्नरों ने ऐलान कर दिया है कि अगर इनकी समस्या प्रशासन ने नहीं सुनी सभी उपायुक्त कार्यालय के सामने भूखे प्यासे दम तोड़ देंगे.
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