नीता शेखर,
रांचीः देशभर में लॉकडाउन के कारण लगभग सभी शहरों में वायु प्रदूषण न्यूनतम दर्ज किया गया है. नाइट्रोजन ऑक्साइड के स्तर में भी गिरावट देखने को मिली है. पर्यावरणविद ने इसे वेक अप कॉल के रूप में व्यवहार करने को कहा है और विकास की दर पर रोक लगाने के उपाय भी दिए.
कोरोना वायरस के प्रकोप से बचने के लिए किए गए उपाय से प्रदूषण में काफी गिरावट आई है. इतना ही नहीं एक रिपोर्ट के अनुसार कुल 54 शहरों में अच्छा और संतोषजनक गुणवत्ता दर्ज की गई है. पर्यावरण किसी भी घटक में होने वाले परिवर्तन जीव जगत पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है. प्रदूषण पर्यावरण प्रदूषण में मानव विकास प्रक्रिया औद्योगिकीकरण तथा नगरीकरण का महत्वपूर्ण योगदान है.
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प्रदूषण कि वजह से लाखों लोगों की मौत होती है. बच्चों को छोटी उम्र में ही कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है लेकिन करे तो क्या करें. प्रदूषण की मार झेलती दुनिया को वह मौका दिया है जिसमें हम जीवनशैली में बदलाव करने पर विचार कर सकते है. यह एक ऐसा मौका है जब लोगों को एहसास होगा कि प्रदूषण के प्रभाव को कम करने से हवा साफ हो सकती है. लोगों को एहसास हो रहा है कि साफ हवा में सांस लेना कितना अच्छा होता है. लॉकडाउन की वजह से निर्माण गतिविधियों और आवागमन गतिविधियों के कमी के कारण उत्पन्न स्थानीय प्रदूषण में भारी कमी आई है.
आज नीले और साफ आकाश, पंछियों की उड़ान देखकर हमें ऐसा कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा की बहुत सारी प्रदूषित हवा “मानव द्वारा निर्मित थी”. आज लॉकडाउन की वजह से कल कारखाने बंद है. वाहन सड़कों पर कम दिखाई दे रहे हैं. इसका प्रभाव वायु प्रदूषण पर काफी पड़ा है. हमारे देश की राजधानी में जहां स्मोक के कारण कई उड़ानों को डाइवर्ट किया जाता था. वहीं वायु प्रदूषण के स्तर में 15 दिनों में 41% तक काम हो गया है. ऐसा कहना गलत नहीं होगा कि महामारी रोकने के प्रयासों ने आर्थिक गतिविधियों को कम कर दिया जिससे वायु प्रदूषण में काफी सुधार हुआ.
लॉक डाउन खत्म होने के बाद प्रदूषण में बढ़ोतरी होगी लेकिन इस दौर से आम लोगों को और सरकार को यह सबक लेना चाहिए कुछ कदमों को उठाने से हम प्रदूषण पर आंशिक रूप से कम कर सकते है. जीवन शैली में भी सुधार ला सकते हैं और यह बहुत ही उपयुक्त समय है जब हम लोग लोगों को यह समझा सकते कि वायु प्रदूषण भी किसी आपातकालीन स्थिति से कम नहीं है इससे होने वाली बीमारियों से बचा जा सकता है. अगर सरकार इस मौके का इस्तेमाल करें तो लोगों को प्रदूषण को लेकर समझ विकसित की जा सकती है जिसके परिणाम काफी सार्थक होंगे. सरकारों ने जिस तरह से लोगों को समझाया कि लॉकडाउन कोरोना में एक मात्र विकल्प है उसी तरह प्रदूषण को कम करने के लिए भी रचनात्मक काम किए जा सकते हैं ताकि हम लोगों को प्रदूषण रहित जिंदगी दे सकते है.