जमशेदपुर: आपने सुना होगा की बेटी की शादी में पिता की आर्थिक स्थिति कुछ दिन के लिए खराब रहती है, लेकिन बेटे की शादी में पिता का बोझ हो तो बड़ी बात है. वैसे हम जिस पिता की बात कर रहे हैं, वो झारखंड के जमशेदपुर के है. जहां कोरोना संकट की वजह से एक पिता अपने बेटे की शादी का जश्न भी न मना सके और बेटी की शादी के बाद कोरोना में लॉक डाउन में शादी पार्टी भी नहीं कर पाए. सच्चाई जानकर आप भी दंग रह जाएंगे क्योंकि मामला ही कुछ ऐसा है.
आपको बात दें की जमशेदपुर के सोनारी परेदेशीपाड़ा में किराए के एक मकान में रहनेवाले गणेश अपने बेटे की शादी पिछले महीने 19 तारीख को ओड़िशा के बालांगीर जिले मे किए थे. रिशेप्सन पार्टी के लिए 22 तारीख का दिन निर्धारित था, जिसमें शामिल होने बधू पक्ष के अलावा परिवार के 60 रिश्तेदार पहुंचे थे. इसी बीच पीएम मोदी के आह्वान पर पहले जनता कर्फ्यू उसके बाद 24 तारीख से लॉकडाउन की घोषणा के बाद सभी को यहीं रूकना पड़ा.
आलम ये है, कि एक माह से मेहमानों की खातिर करते- करते दूल्हे का पिता कंगाल हो गए है. वहीं सभी अतिथि अब राहत शिविरों में खाने को विवश है. वैसे अतिथियों में महिला- पुरूष के साथ छोटे- छोटे बच्चे भी शामिल हैं. जहां भाड़े के मकान के छत में शादी के लिए लगाए गए पांडाल में सभी शरण लिए हुए हैं. वैसे आंधी- पानी के कारण पांडला भी जीर्ण- शीर्ण हो चुके हैं. वैसे संकट की इस घड़ी में पड़ोस में रहनेवाले एक सज्जन पन्ना लाल चंदेल के द्वारा सभी को भोजन- पानी मुहैया कराया जा रहा है.
उन्होंने सरकार से अविलंब इन्हें वापस इनके घरों तक पहुंचाने की मांग की है. वहीं दूल्हे की मां कमला देवी और रिश्तेदारों ने भी सरकार से उनके घरों तक भिजवाने की मांग की है. वैसे लॉकडाउन की वजह से बेटे का पिता पूरी तरह से सोच में पड़ चुका है की आखिर कैसे इतने लोगों की देखभाल करेंगे. उधर इस परिस्थिति में जानकारी देते हुए उड़ीसा से आए रिश्तेदार सुनिधी ने कहा बरसात के समय टेंट में रहने में काफी परेशानी हो रही है.
छोटे छोटे बच्चे को लेकर कोरोना से बचाव के लिए दूरी बनाकर सरकार के नियमों का पालन तो हम लोग कर रहे हैं लेकिन सरकार से आग्रह है किसी तरह हम लोग को उड़ीसा जाने का व्यवस्था सरकार कर दे तो बहुत मेहरबानी होगी। इस परिस्थिति में हम लोग को रहने में काफी परेशानी हो रही है।