जमशेदपुर: कोरोना संकट को लेकर लॉक डाउन में मछुआरे के जिंदगी में तूफान आ गई है. इस दौरान रोज कमा कर खाने वाले लोग अपने नसीब को कोस रहे हैं. वहीं जमशेदपुर में 40 परिवार मछुआरों का हाल बेहाल है. सभी स्वर्णरेखा और खरकई नदी में मछली मार कर जीवन यापन करता है. लेकिन इस लॉकडाउन में इनका व्यापार भी बंद हो चुका है. ज्यादा दिनों तक लॉकडाउन होने के कारण अब यह लोग घर से बाहर निकल कर नदी किनारे बैठ के मछली मारने के लिए अपनी बारी का इंतजार करते हैं. उधर एक साथ 8 लोग निकलते हैं जिसमे तीन लोग नदी में मछली मारते हैं तो 5 लोग बाहर उनका की रखवाली करते हैं.
वहीं पुलिस को देख यह लोग नदी में कूदकर भाग जाते है. इन लोगों का कहना कि सरकार खिचड़ी तो दे रही है लेकिन उसके एवज में नाम और पता लिखती है. उधर लंबी लाइन लगाकर एक टाइम खिचड़ी मिलता है. इससे कैसे चलेगा पूरा परिवार बच्चे रात में भूखे सो जाते हैं. बीमार में लोगों के इलाज के लिए पैसा भी नहीं है. वहीं इन लोगो ने अपने पेट की आग के लिए पुलिस का डंडा खाने की डर से छुप कर एक से डेढ़ केजी मछली इस नदी से पकड़ के रोज का खर्च किसी तरह निकालने में दिन भर लगे रहते है.
कभी कभार तो वह भी नहीं मिलता और अपने पूरे परिवार सहित भूखे सो जाते हैं. लॉकडाउन में जमशेदपुर के मछुआरों का हाल इस ही तरह इनकी जिंदगी पानी में ही कटती है. लेकिन अब पानी भी मछुआरों से दूर होने लगा है.