नीता शेखर,
रांची: जिंदगी के रास्ते भी काफी टेढ़े-मेढ़े होते हैं, कब कहां कौन सा मोड़ आ जाए कोई नहीं जानता. बरखा की उम्र लगभग 16 साल की होगी, वह इंटर में थी. इस उम्र में इतना सोचने समझने की शक्ति तो रहती नहीं… बरखा के घर एक कुमार नाम का लड़का आया करता था, जो बहुत दूर का उसका रिश्तेदार भी लगता था. वह फाइनल ईयर इंजीनियरिंग का छात्र था.
एक दिन उसने बातों ही बातों में बरखा से पूछा आदमी को विदेश में सेटल होना चाहिए या नहीं… पर बरखा कुछ समझ नहीं पायी, उसने बड़े भोलेपन से कहा… सेटल नहीं होना चाहिए, कुछ दिन रहकर वापस आ जाना चाहिए.
कुछ दिन बाद पता चला कुमार अमेरिका चला गया है… बरखा अपनी पढ़ाई लिखाई में व्यस्त हो गई. अचानक एक दिन एक डाकिया आया और उसने बरखा को एक पत्र थमा दिया… मेरे लिए खत, किसने भेजा होगा. उसने देखा कि पत्र के साथ-साथ फोटो भी है… कुछ समझ नहीं आ रहा था… खत कुमार का था, उन्होंने देखा कि खत में अमेरिका की रोज की बातें, फोटो के पीछे लिखी हुई थी.
“तुम्हारे लिए… सिर्फ तुम्हारे लिए” बरखा कुछ समझ ही नहीं पाती थी, हर सप्ताह खत आ जाता. बरखा समझ नहीं पाती कि आखिर इस तरह फोटो और खत भेजने का क्या मतलब है, क्योंकि खत में बस रोज का रूटीन और फोटो के पीछे सिर्फ तुम्हारे लिए लिखा होता था. सिलसिला यूं ही चलता रहा….
बरखा कुछ जवाब नहीं देती थी. ऐसे ही लगभग 5 साल गुजर गए. एक दिन कुमार का दोस्त आया और उसने कहा, कुमार ने कहा था जब तुम बीए कर लोगी…. तो बरखा के पास जाना और मेरी शादी का प्रस्ताव देना फिर उसने खत दिया, जिसमें उसने बरखा के साथ जिंदगी गुजारने की सिफारिश भी की थी, अजीब सा लगा कि उसने कभी सोचा ही नहीं था. उसे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या जवाब दें.
उसने कहा… आप मां पापा से बात कर लो अगर वह तैयार हो तो मुझे कोई दिक्कत नहीं है… मम्मी पापा से बात की पर तैयार नहीं थे. बरखा ने उस नजरिए से कभी सोचा नहीं था, उसको ज्यादा फर्क नहीं पड़ा, पर उम्र के उस पड़ाव में हर एक लड़की को उत्सुकता रहती है किसी के चाहत की.
बरखा ने फोटो और खत निकाल कर देखा और पढ़ना शुरू किया… कितनी शिद्दत से उसे कुमार ने चाहा था, पर उसने नासमझी की.. किसी और की वजह से वो प्यार गवां बैठी थी…. वह बार-बार उसको पढ़ने और समझने लगी… उसको पढ़ते पढ़ते उसके दिल में उनके प्रति प्यार पनपने लगा था.
उसे बार-बार यही लगता था कि किसी ने उसका 5 साल इंतजार किया. वह ना समझ सकी, उसे बार-बार यही लगता काश मैं उसको समझ पाती, फिर उनकी शादी कहीं और हो गई. बरखा की भी शादी कहीं और हो गई. दिल में वह प्यार का अंकुर फूटा था जो जीवन भर के लिए उसके दिल के एक कोने में बैठ गया.
बरखा की शादी अच्छे परिवार में हुई थी. बरखा को लगता था, “काश मैं एक बार उनसे मिल पाती”… उम्र का प्यार कच्चा ही रह गया.
आज उनसे मिले हुए 30 साल हो गए. अभी भी दिल के कोने में एक आस है… कि शायद मरने से पहले एक बार उनसे मिल पाती. हम आज तक कभी मिले ही नहीं. हमेशा सोचती काश एक बार मिल लेते तो कम से कम अपने बहुत सारे सवालों के जवाब मांग लेती, जो अधूरे रह गए.
क्यों हमारी कहानी भी अधूरी ही रह गई… पर पहले प्यार का एहसास हमेशा जिंदा रहता है. आज भी बरखा यही सोचती है काश उन्होंने कम से कम मम्मी पापा को ही बता दिया होता तो हमारी कहानी अधूरी नहीं होती.
आज भी बरखा को लगता है…….
“तुम आ जाते तो अच्छा होता कहनी थी तुमसे बहुत सी बातें,
नादान थी मैं समझ ना सकी तुम्हारे प्यार को… उम्र का पड़ाव ऐसा था कि ना समझ सकी,
तुम्हारी बातें जब तक समझ आई.. तब तक तुम जा चुके थे… शायद बहुत देर हो गई थी पर,
तुमने भी कम सजा नहीं दी… इंतजार करते-करते आंखें पथरा गई पर तुम ना आए…अब तो वक्त आ गया संसार से जाने का पर, एक बार तुम आ जाते तो अच्छा होता…….