रांची: देशव्यापी लॉकडाउन के कारण पिछले एक महीने में झारखंड की सभी प्रमुख नदियों स्वर्णरेखा, खरकई, दामोदर बराकर और अन्य छोटी-बड़ी नदियां की धारा में कलकल की गूंज साफ सुनी जा सकती है. प्रदूषण कम होने से पक्षियों का कलरव भी सभी को मंत्रमुग्ध कर रहा है, खुले आसमान के नीचे तितलियां मंडरा रही है. प्रदूषण कम होने के कारण मौसम भी दशकों पुराने अंदाज में लौट आया है. 1960-70 के दशक में जिस तरह से गर्मी के मौसम में तापमान में बढ़ोत्तरी के कारण दोपहर बाद बारिश हो जाती थी, उसी तरह का नजारा इस वर्ष भी देखने को मिल रहा है.
राजधानी रांची में लॉकडाउन के दौरान 25 लाख से अधिक वाहन सड़कों से बाहर हो गये है. सिर्फ आवश्यक सेवा में लगे वाहन ही सड़क पर नजर आ रहे है. लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था को भले ही कितना भी नुकसान पहुंचा हो, लेकिन वायु, ध्वनि और जल प्रदूषण में कमी आने से पर्यावरण बेहतर हुआ है. जानकारी के अनुसार सेहत की दृष्टि से बेहद खराब हवा में रेस्पीरेबल सस्पेंडेड पार्टिकुलेटर मैटर (पीएम-10) की मात्रा में भारी गिरावट आयी है. राजधानी रांची में पीएम-10 का सामान्य स्तर 90-110 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर रहता है, जो मौजूदा समय में 65-70 है। वहीं पीएम-2.5 भी गिरकर 46 पहुंच गया है. आरएसपीएम-10 का मानक स्तर 100 तथा पीएम 2.5 का मानक स्तर 60 है.
शहर के सबसे बड़े व्यावससायिक इलाके अपर बाजार में इन दिनों आम लोगों की भीड़ की जगह कबूतरों की अठखेलियां देखी जा सकती हैं. ध्वनि और वायु प्रदूषण कम होने के कारण कई इलाकों में तितलियां भी नजर आ रही है. हालांकि इस दौरान सड़कों पर घूमने वाले आवारा पशुओं की मुश्किलें बढ़ गयी है, उन्हें पर्याप्त मात्रा में भोजन-पानी नहीं मिल पा रहा है.