रांची: पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर बताया कि कोरोना महामारी से उपजे संकट के कारण हर वर्ग प्रभावित हुआ है और उसका असर उनकी रोजी-रोटी पर पड़ा है. अधिवक्ता वर्ग भी इससे अछूता नहीं है.
जानकारी के अनुसार, झारखंड में अधिवक्ताओं की संख्या लगभग 35 हजार और इनके अधीनस्थ कार्य करने वाले लिपिकों की संख्या 25 हजार के आसपास है.
लॉकडाउन के कारण पिछले डेढ़ माह से अदालती कार्यवाही पूरी तरह ठप्प है. इस कारण राज्य भर के वकीलों के समक्ष आर्थिक संकट की स्थिति उत्पन्न होना स्वाभाविक है. इनकी दुविधा यह भी है कि बुद्धिजीवी वर्ग से होने कारण ये अपनी खस्ता हालत सभी से बयां भी नहीं कर पाते हैं. ऐसे में सरकार का दायित्व बनता है कि इनकी वस्तुस्थिति समझते हुए इनकी भी सुध ली जाए.
उन्होंने उम्मीद जतायी कि इस दिशा में अपनी ओर से तत्काल कोई सकारात्मक कदम उठायेंगे ताकि कोरोना संकट के कारण उत्पन्न आर्थिक स्थिति से इन्हें राहत मिल सके. सरकार द्वारा इस दिशा में कदम उठाने से एक संदेश भी जाएगा कि विपत्ति के वक्त सरकार ने कम-से-कम इनकी भी परवाह की.