रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि पूरे देश में करीब 10 लाख से अधिक झारखंडी विभिन्न शहरों, राज्यों में फंसे हुए हैं. सरकार उन सब तक सूखा राशन एवं अन्य जरूरी मदद पहुंचाने में कामयाब हो रही है. साथ ही सरकार हर एक झारखण्डवासी की सकुशल झारखण्ड वापसी को लेकर तैयारी में जुटी हैं. वह न सिर्फ कोटा में फंसे राज्य के बच्चों को लेकर चिंतित है, साथ ही उन्हें देश के विभिन्न कोनों में इंजीनियरिंग, मेडिकल एवं अन्य प्रोफेशनल कोर्स की पढ़ाई करने गए छात्र-छात्राओं की भी उतनी ही चिंता है.
उन्होंने कहा कि साथ में राज्य सरकार को मजदूर भाइयों की सबसे ज्यादा चिंता है जिनके बारे में आज कोई बात कर नहीं रहा. उन्होंने कहा कि सरकार उन मजदूर भाइयों के बच्चों और परिवार को लेकर भी चिंतित और व्याकुल है. उन तक पैसे और सूखा राशन तो अवश्य भेज रहे हैं पर वो सब भी घर वापस लौटना चाहते हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य द्वारा कुछ बसें कुछ जगह भेज राजनीतिक रोटियां तो सेकी जा सकती हैं पर वो इस समस्या का हल नहीं है. बसों से कुछ बच्चों-श्रमिकों को ला वाह-वाही तो बटोरी जा सकती है पर इससे बच्चों में संक्रमण ( जैसा उत्तर प्रदेश में हुआ) का खतरा बन जाता है.
उन्होंने कहा कि इस राज्य का सेवक एवं बेटा होने के नाते उनकी चिंता तकलीफ में फंसे हर एक झारखंडी के लिए है. इसलिए इस समस्या के निदान के लिए ट्रेनों का संचालन ही सबसे उपयुक्त तरीका है. ट्रेनों में सोशल डिस्टन्सिंग का पालन कर बड़े मात्रा एवं आरामदायक तरीके से हम अपने लोगों को वापस राज्य ला उनकी सेवा कर सकते हैं.
हेमंत सोरेन ने कहा कि वे मानते है कि कि भारत सरकार झारखंड को उत्तर प्रदेश व गुजरात जैसी मदद ना करे, समझ आता है पर नीतियों में फेर हो जाये तो गलत है.