रांची: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को देश में कोरोना वायरस महामारी के कारण उत्पन्न स्थिति पर चर्चा के लिए सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए बात की. बैठक में उनके साथ गृह मंत्री अमित शाह भी मौजूद थे.
22 मार्च को देश में लागू लॉकडाउन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को चौथी बार सभी मुख्यमंत्रियों के साथ बात की. जिसमें महामारी की स्थिति और महामारी रोकने के लिए केंद्र और राज्यों द्वारा उठाए गए कदम पर चर्चा की. इस वर्चुअल बैठक में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन और पीएमओ के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे.
बैठक में शामिल होने वाले मुख्यमंत्रियों में अरविंद केजरीवाल (दिल्ली), उद्धव ठाकरे (महाराष्ट्र), ईके पलानीस्वामी (तमिलनाडु), कोनराड संगमा (मेघालय) त्रिवेंद्र सिंह रावत (उत्तराखंड) और योगी आदित्यनाथ (उत्तर प्रदेश) शामिल थे. बैठक में प्रधानमंत्री सफेद और हरे रंग के बॉर्डर वाले गमछे से अपना मुंह ढंके हुए दिखे.
मेघालय, मिजोरम, पुड्डुचेरी, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा, बिहार, गुजरात और हरियाणा के मुख्यमंत्रियों को बैठक में बोलने का मौका मिला। वहीं अन्य मुख्यमंत्रियों से अपने सुझाव लिखित में देने के लिए कहा गया है. मेघालय के मुख्यमंत्री संगमा ने कहा कि राज्य तीन मई के बाद लॉकडाउन को जारी रखना चाहता है. जिसमें अंतर-राज्यीय और अंतर-जिला गतिविधियों पर प्रतिबंध जारी रहेगा.
बैठक के दौरान मिजोरम के मुख्यमंत्री ने कहा कि जो केंद्र सरकार का फैसला होगा उसे राज्य स्वीकार करेगा. पुडुचेरी के मुख्यमंत्री वी नारायणसामी ने राज्य के कोरोना योद्धाओं के लिए व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) और अन्य चिकित्सा उपकरण प्रदान करने के लिए केंद्र के हस्तक्षेप की मांग की. उन्होंने तीन मई को लॉकडाउन खत्म होने पर उद्योगों को शुरू करने की इच्छा जाहिर की और कोविड-19 से लड़ने के लिए भारत सरकार से वित्तीय सहायता मांगी.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बैठक में प्रधानमंत्री ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से कहा कि सामूहिक प्रयास का लाभ दिख रहा है. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन का हमें लाभ मिल रहा है. उन्होंने कहा कि दूसरे देशों के मुकाबले भारत बेहतर स्थिति में है.
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री कार्यालय ने बताया कि प्रधानमंत्री के साथ बातचीत में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने कहा, ‘राज्य के आर्थिक पुनरुद्धार के लिए मंत्रियों और विशेषज्ञों की एक समिति का गठन किया गया है. मुख्यमंत्री ने सुझाव दिया है कि मनरेगा मजदूरी रोजगार की वर्तमान अवधि को 100 दिनों से बढ़ाकर 150 दिन कर दिया जाए.