रांची: झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री और भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि झारखंड सरकार ने मुख्यमंत्री विशेष सहायता एप्प के जरिए राज्य से बाहर फंसे प्रवासी मजदूरों को 1000-1000 रूपये डीबीटी के माध्यम से सहायता राशि देने का प्रावधान किया है. जानकारी के अनुसार सरकार के पास कुल 02 लाख 65 हजार मजदूरों का खाता नंबर आया है. प्रथम चरण में सरकार द्वारा 01 लाख 26 हजार 568 मजदूरों के खाते में तयशुदा राशि भेज दी गई है. अब दूसरे चरण में शेष बचे लगभग 01 लाख 39 हजार मजदूरों के खाते में सरकार राशि भेजेगी.
राज्य सरकार लगभग 09 लाख 40 हजार से अधिक प्रवासी मजदूरों के देश के विभिन्न राज्यों में लॉकडाउन की वजह से फंसे होने की बात कह रही है. अब यहां बड़ा सवाल है कि बाहर फंसे कुल मजदूरों की संख्या में से 02 लाख 65 हजार सहायता प्राप्त मजदूरों को हटा दिए जाएं तो शेष लगभग 7 लाख मजदूरों का क्या होगा ? इन तक यह राशि कैसे पहुंचेगी और कब तक पहुंचेगी ? 16 अप्रैल को एप्प के लॉन्च के समय इसे मील का पत्थर बताते हुए एक सप्ताह के अंदर सभी प्रवासी मजदूरों को चिन्ह्ति कर उन्हें राशि भेज देने की बात सरकार द्वारा कही गई थी. सोमवार को 10 दिन बीतने के बाद भी महज 10 फीसदी से कुछ अधिक मजदूरों को ही सरकार सहायता राशि दे पाई है और 25 फीसदी से कुछ अधिक मजदूर इससे जुड़ पाए हैं. ऐसा लगता है एप्प लॉन्च के वक्त सरकार द्वारा इस दिशा में आने वाले व्यवहारिक दिक्कतों पर होमवर्क नहीं किया गया ? अधिकांश मजदूरों के पास स्मार्ट फोन ही नहीं है. अगर किसी के पास है तो वह इस एप्प को डाउनलोड नहीं कर पा रहे हैं.
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि किसी ने डाउनलोड कर भी लिया तो इसमें जीपीएस लोकेशन शेयर करने की प्रक्रिया से वे अंजान हैं. इस एप्प में मजदूरों को सेल्फी अपलोड करने व ओटीपी नंबर डालने के लिए कहा गया है. अब अधिकांशतः मजदूरों को सेल्फी व ओटीपी का मतलब भी पता नहीं होगा. लॉकडाउन होने के कारण वे किसी जानकार की सहायता भी नहीं ले सकते हैं. सब कुछ है तो फोन रिचार्ज नहीं है. वहीं अधिकांश लोगों के पास बैंक खाता तक नहीं है. जानकारी यह भी मिल रही है कि कईयों खाता डाकघर में है जो सरकार द्वारा जारी एप्प को स्वीकार्य नहीं है. आवेदक का नाम आधार डाटा में अंकित नाम से मिलना चाहिए और आवेदक द्वारा दिया गया विवरण झारखंड का हो. ऐसी तमाम कई तकनीकी व व्यवहारिक दिक्कतें हैं जिस कारण प्रवासी मजदूर सरकार द्वारा तय सहायता राशि का लाभ नहीं ले पा रहे हैं. अब तक 25 फीसदी से कुछ अधिक मजदूरों का ही इससे जुड़ना, उपर्युक्त तकनीकी दिक्कतों को सही साबित करने के लिए पर्याप्त है.
उन्होंने कहा कि इस गंभीर विषय पर अविलंब आवश्यक कदम उठाने की दिशा में पहल करते हुए कोई और विकल्प तैयार करना चाहेंगे. ताकि शत-प्रतिशत मजदूरों को सहजता से इसका लाभ मिल सके. मजदूरों की हालत काफी खराब है, संकट की इस घड़ी में उनके लिए यह छोटी राशि भी काफी उपयोगी होगी.