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अपने संसाधनों से देशभर के विभिन्न हिस्सों में फंसे लोगों को बस से लाने में छह माह का समय लगेगा
रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से दूसरे राज्यों में फंसे छात्र-छात्राओं और मजदूरों को वापस लाने को लेकर नया दिशा-निर्देश जारी किया गया है. इस गाइडलाइन को देखा जा रहा है. मुख्यमंत्री बुधवार को संथाल परगना प्रमंडल के सांसदों-विधायकों के साथ बैठक करने के बाद पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे.
मुख्यमंत्री ने कहा कि लगभग पांच लाख मजदूर और छात्र-छात्राएं देश के विभिन्न राज्यों में लॉकडाउन में फंसे है, उन्हें वापस लाने की तैयारी की जा रही है, लेकिन पहले ही राज्य सरकार द्वारा यह साफ किया जा चुका है कि सीमित संसाधनों में राज्य सरकार अपने खर्चे पर इन्हें वापस लाने में सक्षम नहीं है.
राज्य सरकार के पास रोड कॉरपोरेशन या बस कॉरपोरेशन भी नहीं है, ऐसी स्थिति में सोशल डिस्टेसिंग का अनुपालन कराते हुए सभी को वापस लाने की योजना बनायी जाए, तो सभी को वापस लाने में छह महीने का समय बीत जाएगा. इसलिए उन्होंने पूर्व में ही विशेष ट्रेन चलाने का सुझाव दिया था, रेलगाड़ी से वापस आने से संक्रमण फैलने का भी कम खतरा रहेगा.
मुख्यमंत्री ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा गाइडलाइन जारी होने के बाद उन्होंने पदाधिकारियों को प्लान तैयार करने का निर्देश दिया है, नोडल पदाधिकारी की नियुक्ति कर दी गयी है. राज्य सरकार अपने सीमित संसाधनों के माध्यम से स्तर से हरसंभव कोशिश करेगी.
उन्होंने बताया कि बाहर में फंसे लोगों का आंकड़ा सरकार के पास है, इस बीच यह भी खबर आयी है कि बाहर में फंसे कई छात्र-छात्राओं के अभिभावकों ने भी वापस लाने के लिए अनुमति देने का आग्रह किया है, प्रक्रिया पूरी की जा रही है.
रिम्स निदेशक ने दूसरे संस्थान में जाने की इच्छा जतायी है
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बताया कि उन्हें अनौपचारिक रूप से यह सूचना मिली है कि रिम्स के निदेशक डॉ. डी.के.सिंह का चयन दूसरे संस्थान में हो गया है, वे वहां जाना चाहते है और इस संबंध में राज्य सरकार से अनुमति चाह रहे है.
इस बीच कोरोना संक्रमण आ गया है. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग ने इस संबंध में क्या कार्रवाई है, अभी इसकी जानकारी उन्हें नहीं मिली है, लेकिन यह सही है कि रिम्स निदेशक दूसरे संस्थान में अपनी सेवा देना चाहते है.