दिल्ली: कोरोना वायरस महामारी के कारण जनता की परेशानियां बढ़ गई हैं. उन लोगों को अधिक परेशानियों से जूझना पड़ रहा है, जिनके घर के किसी सदस्य की मौत हो गयी हो या कोई अस्पताल में भर्ती हो. खजूरी की श्रीराम कॉलोनी में रहने वाले सूफी नबी हसन अंसारी उनमें से एक हैं. सूफी नबी हसन अंसारी एक हफ्ते से अपनी पत्नी के शव के लिए जीटीबी अस्पताल के चक्कर लगा रहे हैं.
बकौल अंसारी, मुर्दाघर का गार्ड उन्हें भगा देता है. कोई सीधे मुंह बात नहीं करता और अब अस्पताल ने कहा है कि कोरोना टेस्ट का सैंपल गायब हो गया है. अब फिर से सैंपल लिया जाएगा.
पत्नी की मौत के 7 दिन बाद भी बुजुर्ग हसन अंसारी को अपनी पत्नी का शव अब तक अस्पताल से नहीं मिल सका है. बकौल अंसारी, जीटीबी अस्पताल की ओर से कहा जा रहा है कि कोरोना टेस्ट कराया जाएगा और रिपोर्ट आने के बाद ही बॉडी दी जाएगी. उन्होंने बताया कि मौत के दो दिन के बाद शव लेने पहुंचे तो रिपोर्ट नहीं आई है कहकर लौटा दिया गया.
रुंधे गले से हसन अंसारी बताते हैं कि 25 अप्रैल को शुगर बढ़ने की शिकायत के बाद 50 साल की पत्नी शमीम अंसारी को जीटीबी अस्पताल में भर्ती कराया था. दो दिन तक उपचार चला. तीसरे दिन कोई इंजेक्शन लगाया गया, जिसके बाद शमीम की हालत और बिगड़ गई. उन्होंने बताया कि शमीम ने 27 अप्रैल की सुबह 7 बजे अंतिम सांस ली. तब अस्पताल प्रबंधन ने कोरोना टेस्ट कराने के लिए सैंपल लिया और दो दिन बाद रिपोर्ट आने पर ही बॉडी देने की बात कही.
हसन अंसारी ने कहा कि तब से ही वे अस्पताल के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन अब बताया गया कि सैंपल गायब हो गया है. फिर से सैंपल लेकर कोरोना टेस्ट के लिए भेजा जा रहा है. डेड बॉडी के लिए जीटीबी अस्पताल का चक्कर लगा रहे हसन अंसारी इकलौते नहीं हैं. साहिबाबाद से भी कई लोग डेड बॉडी के लिए पहुंचे थे. उनका आरोप है कि मौत के 10 दिन बाद भी उन्हें शव अब तक नहीं सौंपा गया.
इस संबंध में जीटीबी अस्पताल के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट सुनील ने कहा कि टेस्ट की जरूरत है या नहीं, पहले आधिकारिक रूप से यह तय किया जाएगा. उन्होंने कहा कि टेस्ट के संबंध में कोई निर्णय होने के बाद ही डेड बॉडी परिजनों को सौंपी जाएगी.