रांची: राज्य में व्यापारिक व औद्योगिक गतिविधियों के बंद होने तथा इसे आरंभ करने में सरकार की ओर से दिख रही उदासीनता पर झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स ने नाराजगी जताई और कहा कि लाईफ. लाइवलीहुड के साथ इकोनॉमी को रफ्तार देना भी सरकार का दायित्व है. इसके लिए आवश्यक है कि सुरक्षा के समुचित मापदंडों का पालन कराते हुए राज्य में व्यापरिक गतिविधियां आरंभ कराने की पहल की जाय. चैंबर अध्यक्ष कुणाल अजमानी ने कहा कि कोरोना संकट के कारण बदली सामाजिक, आर्थिक परिस्थितियों और सामने आई चुनौतियों का सामना करने के लिए लघु एवं मध्यम उद्योगों को संरक्षण देने की आवश्यकता है.
हाल के आंकड़े बताते हैं कि अब तक लॉकडाउन में 20 हजार प्रवासी श्रमिक झारखंड आए हैं. 3 लाख और लोगों ने आने के लिए निबंधन भी कराया है. संभव है कि राज्य सरकार थोड़े समय के लिए अवश्य ही सारे प्रबंध कर सकती है किंतु लंबी समयावधि तक प्रदेश में व्यापारिक व औद्योगिक गतिविधियों को बंद करके जनकल्याण के लिए ऐसा कर पाना संभव नहीं है. राज्य में बडे पैमाने पर रोजगार सृजन एवं अन्य प्रदेशों से लौटे प्रवासी श्रमिकों को नियोजित करने के उद्देश्य से शुरू की जा रही नयी योजनाएं. संभव है कि दीर्घकाल में बेहतर नतीजे दे. लेकिन तात्कालिक चुनौती से निपटने में राज्य के लघु उद्योग ही सहायक हो सकते हैं.
ऐसे में सरकार को अब विलंब नहीं करते हुए स्थानीय स्टेकहोल्डर्स से इस विषय पर ठोस पहल करनी चाहिए और आर्थिक गतिविधियों को आरंभ करने में व्यापारियों का सहयोग करना चाहिए. राज्य सरकार यदि स्थानीय व्यापार-उद्योग को ताकत देगी तो रोजगार. राजस्व और अर्थव्यवस्था की मजबूती की दृष्टि से यह राज्य के लिए उपयुक्त होगा.
चैंबर महासचिव धीरज तनेजा ने कहा कि लॉकडाउन को बढाकर व्यापार बंद करना उचित नहीं है. एक ओर सरकार द्वारा मजदूरों को वेतन देने की बात कही जाती है. वहीं दूसरी ओर व्यापार नहीं चालू करने का दबाव बनाया जा रहा है. ऐसे में अधिक समय तक व्यापारियों द्वारा समस्त खर्चों का वहन कर पाना संभव नहीं है. न चाहते हुए भी व्यवसायियों को कर्मचारियों को हटाने पर विवश होना पडेगा. सरकार यह स्पष्ट करे कि प्रदेश में व्यापारिक गतिविधियां कब तक आरंभ की जाएंगी ताकि व्यापारी भी सरकार के निर्णयानुसार स्वयं को तैयार कर सकें. उचित होगा कि प्रदेश में सेक्टरवाईज दुकानों को खोलने के हमारे सुझावों पर आवश्यक कारवाई की जाय.