प्रमोद उपाध्याय
हजारीबाग : गुरु पुर्णिमा सह वेद व्यास जंयती के अवसर पर राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ ने शहरी क्षेत्र सहित 13 स्थानों पर गुरु पूजन कार्यक्रम सह गुरू दक्षिण समारोह का आयोजन किया. दारु, टाटीझरिया, केरेडारी, शहरी क्षेत्र के अलावा, इचाक, बरही, बरकटठा, चौपारण, विष्णुगढ़, चरही में सहित कुल 30 स्थानों पर गुरु दक्षिणा कार्यक्रम का आयोजन किया गया. विभिन्न शाखाओं में एक साथ कार्यक्रम का आयोजन किया गया. प्राथना के बाद वक्ताओं का गुरु दक्षिणा पर बौधविक हुआ और इसके बाद स्वंयसेवकों ने गुरु पूजन के बाद गुरु भगवा ध्वज को अपना दक्षिणा अर्पण किया.
चरही में बासुदेव प्रसाद, झुमरा में रमेश जी, बड़कागांव सुशील कुमार, टाटीझरिया गणेश जी, विष्णुगढ़ अभिजीत जी, अशोक प्रभात शाखा हिंदू स्कूल में डा. ताराकांत शुक्ल, शिवाजी प्रभात शाखा में जिला संघ चालक ज्ञानचंद प्रसाद मेहता, शिवालय शाखा संघ कार्यालय में प्रांत संघ चालक देवव्रत पाहन जी, माधव शाखा में जिला कार्यवाह प्रो. प्रदीप प्रसाद, यशवंत नगर शाखा में नवीन चंद्र जी, केरेडारी में सत्येंद्र कुमार, कुद शाखा कटकमदाग जिला कार्यवाह सहित अन्य स्थानों पर विभिन्न संघ के पदाधिकारियों का उदबोधन हुआ.
वक्ताओं ने बताया कि गुरु के प्रति समर्पण गुरु दक्षिणा है. राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ ने अपना गुरु परम पवित्र भगवा ध्वज को माना है. संघ चंदा से संचालित नहीं होता, गुरु दक्षिणा में अर्पण सहयोग से ही संगठन संचालित होता है. प्रांत संघ चालक देव व्रत पाहन जी ने संबोधित करते हुए संघ के स्थापना के प्रति उद्देश्य को बताया, कहा कि 1925 संघ की शुरुआत हुई और विजयादशमी को पहली बार विधिवत रुप से शाखा लगी. संघ के प्राथम संघचालक और नींव कर्ता डॉ. हेडगेवार थे. और उनकी शिक्षा-दीक्षा MBBS थी. उन्होंने प्रैक्टिस नहीं की. तंगहाली में जीवन था, देश के हालत को देखते हुए राष्ट्र जागरण की बात कहीं और हिन्दुओं को संगठित करने का प्रयास शुरु किया. तय किया कि देश के लिए कुछ करें कि अंग्रेज यहां से भाग जाएं. इसी बात के लिए उन्होंने 1925 में मोहिते के बाड़े, नागपुर में बच्चों के साथ पहली शाखा लगाई. लोग हँसते थे कि हेडगेवार पागल हो गया है. दो-चार बच्चों के साथ अंग्रजों को भगाएगा. उन्होंने इसकी चिन्ता नहीं की. जब लोगों ने देखा कि हिन्दुओं को एकजुट करने का कार्य अच्छा है, तो लोग जुड़ते गए. और कारंवा बढ़ते चला गया. डॉ. टीके शुक्ल ने हिंदू स्कूल में संबोधित करते हुए कहा कि आरएसएस ने किसी व्यक्ति के स्थान पर भगवा ध्वज को अपना गुरु माना है. इसी भगवा ध्वज के समक्ष दैनिक शाखा लगाई जाती है.
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भगवा रंग को त्याग, ज्ञान, बलिदान आदि का प्रतीक माना गया है. सूर्योदय भी भगवा रंग का होता है. अग्नि का रंग भी भगवा होता है, जो सभी तरह की बुराईयों को जला देती है. शुरुआत में स्वयंसेवकों ने संघ के संस्थापक डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार से गुरु बनने का आग्रह किया, लेकिन उन्होंने भगवा ध्वज को गुरु घोषित किया.
संघ को चलाने के लिए गुरु दक्षिणा :
संगठन को बढ़ाने के लिए धन की आवश्यकता होती है. वो कहां से आए. आज के बारे में पहले ही सोच लिया था. सोचा था कि रसीद काटकर धन लेंगे तो भ्रष्टाचार होगा. उन्होंने गुरु के समक्ष गुरु दक्षिणा कराई. हिन्दू धर्म में यह अनादिकाल से रीति है. संघ को चलाने के लिए गुरु दक्षिणा करने का नियम बना.