रांची: छोटा नागपुर बौद्ध सोसाइटी के तत्वावधान में आज बुद्ध पूर्णिमा के पावन अवसर पर भगवान बुद्ध की जयन्ती सादगी के साथ मनाई गई. पूर्वाहन सर्वप्रथम पूर्वाह्न 9:00 बजे डोरंडा स्थित गोरखा चैक पर भगवान बुद्ध की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर पूजा की गई. धनपत एवं पंचशील का पाठ किया गया.
कोरोना बीमारी की मुक्ति के लिए रतन सूद का पाठ किया गया एवं प्रार्थना की गई. भगवान बुद्ध के चार आर्य शब्द दुख है- दुख के कारण है -दुख के समुदाय हैं और दुख दूर करने के उपाय पाए हैं.
पूजा-पूजा अर्चना के उपरांत 11:00 बजे हॉस्पिटल लाइन स्थित बुद्ध स्तूप में पूजा अर्चना की गई फिर वापस लौट कर प्रसाद वितरण किया गया.
पूजन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डॉ रामेश्वर उरांव उपस्थित थे. उनके साथ विशिष्ठ अतिथि के रुप में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता आलोक कुमार दुबे, डॉक्टर रामेश्वर उरांव की निशा उरांव सिंहमार तथा पुत्र रोहित प्रियदर्शी उरांव भी मौजूद थे.
इस अवसर पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डॉ रामेश्वर राव ने कहा कि महात्मा बुद्ध का जिस समय आगमन हुआ उस समय भारत में असमानता, ऊंच-नीच बसा हुआ था, भगवान बुद्ध ने समानता, प्रेम, करुणा का संदेश दिया जिसे लोगों ने पसंद किया.
उस समय हिंसा होती थी पशुओं की बलि दी जाती थी. भगवान बुद्ध ने विरोध किया और समाज में अहिंसा का वातावरण कायम किया. उन्होंने कहा कि बुई को जानना अर्थात धर्म को जानना है. यह संयोग ही है कि वैशाख पूर्णिमा के दिन बुद्ध का जन्म नेपाल के लुंबिनी में ईसा पूर्व 563 को हुआ.
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे ने कहा कि भगवान बुद्ध ने चेतना के शिखर को छुआ है वैसा आज तक किसी ने नहीं किया. बुध का जन्म किसी राष्ट्र धर्म या प्रांत की क्रांति नहीं है बल्कि बुद्ध के जन्म से व्यवस्थित धर्म के मार्ग पर पहली बार कोई वैश्विक क्रांति हुई.
छोटा नागपुर बौद्ध सोसाइटी के अध्यक्ष एसकेतामांग ने कहा कि धरती पर अभी तक ऐसा कोई नहीं हुआ जो बुद्ध के बराबर कह गया हो सैकड़ों ग्रंथ है जो उनके प्रवचनों से भरे पड़े हैं और आश्चर्य कि उनमें कहीं भी दोहराव नहीं है, जिसने बुद्ध को पढ़ा और समझा वह भिक्षु हुए बगैर बच नहीं सकता.
कार्यक्रम में छोटानागपुर बौद्ध सोसाइटी के रीतेश थापा, अरुण प्रधान, मन कुमार तामंग, रीता गुरुंग, रुचि थापा, जेबी गुरुंग, प्रकाश प्रधान, सागर छेत्री, राजू प्रधान, शशि कला, तामंग, सावित्री गुरुंग, नवनीत प्रधान, सुमन तामंग, दीपक प्रधान उपस्थित थे.
पाठ, प्रवचन एवं पूजन का कार्यक्रम लामा डॉ. पुनीत प्रियदर्शी तथा मन बहादुर तमांग द्वारा किया गया.