नीता शेखर,
समय गुजरता जा रहा था. अभी तक अनुभव के आने की सूचना नहीं मिली थी. मां का रो-रोकर बुरा हाल था. बाबूजी का पार्थिव शरीर पड़ा हुआ था.
सभी अनुभव के आने का इंतजार कर रहे थे. बहुत मुश्किल होता है अपने आप को संभालना जब कोई आपका अपना चला जाए. इंतजार करते-करते सभी थक चुके थे.
मैं भी बैठे-बैठे यही सोच रही थी आज तक इस रहस्य को कोई नहीं जान पाया कि आखिर मनुष्य की आत्मा जाती कहां है, जैसा कि हमारी चलने वाली सांसों और धड़कनों को कहा जाता है “आत्मा”, जिसने हमें बनाया वह है “परमात्मा”.
परमात्मा ने जब मनुष्य का निर्माण किया तब उसने उसको बहुत ही बढ़िया चीज भी दे दी उसका दिमाग. उसी दिमाग में उसने बहुत सारे पार्ट्स भी बनाए. इस पार्ट्स में एक पार्ट्स बनाया मनुष्य के भूलने की शक्ति, उसी शक्ति के द्वारा मनुष्य अपने किए हुए कार्य को भूलता जाता है.
“गीता में कृष्ण ने कहा है कर्म किए जा फल की चिंता मत कर. ऐ इंसान जैसा कर्म करेगा वैसा फल देगा भगवान” यहां पर तात्पर्य है कि क्या सभी मनुष्यों को उसके कर्मों का फल मिलता है. मेरे विचार से तो इसको डिफाइन करना ही मुश्किल है और नहीं भी क्योंकि यहां पर कर्म का तात्पर्य काम से है. यह तो सही है कि आदमी अगर काम नहीं करेगा तो उसको फल कहां से मिलेगा. बैठे-बैठे मुंह में भोजन तो नहीं चला जाएगा. उसके लिए भी इंसान को हाथ उठाना पड़ता है.
हर एक मनुष्य को अपने हिस्से का काम भी करना पड़ता है. कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता. बस यह तो समाज के द्वारा बनाए हुए नियम है और जो इसको समझ जाता है वह पार लग जाता है, जो नहीं समझ पाता, इसी उलझन में फंसा रहता है. कहते हैं कि परमात्मा ने जब मनुष्य की रचना की तो उसके साथ ही बहुत सारे जीव जंतुओं की भी रचना की और उन सभी जीव जंतु से तब उन्होंने मनुष्य को ज्यादा दिमाग दिया ताकि इस धरती पर आकर अपने आपको वह सुपीरियर समझ सके और हुआ भी वैसा ही.
सबसे पहले आदम और ईव इस धरती पर आए. तब वह नहीं जानते थे, आगे क्या होने वाला है. धीरे-धीरे उन्होंने परिवार, परिवार से गांव, शहर फिर ना जाने कितने ही शहर और गांव बस्ते चले गए. धीरे-धीरे बढ़ने लगा और उन्होंने चांद और मंगल ग्रह पर भी पहुंच चुका है. मगर फिर भी कोई तो ऐसी चीज है जो इंसान आज तक उसके पास नहीं पहुंचा है और वह है उसकी आत्मा की जुदाई. जिससे यह साबित होता है कि कोई ऐसा शक्ति है जिसने मनुष्य का निर्माण किया और उस आत्मा की चाभी अपने पास रख ली.
अभी मैं यही सोच रही थी कि अचानक शोर हुआ अनुभव आ गया. कल तक जो मनुष्य बाबूजी के नाम से पुकारा जाता था आज वह सिर्फ एक हाड़ मांस का शरीर ही था जिसे सभी जलाकर आ जाएंगे. फिर धीरे-धीरे उसको, उनके कर्मों को, उनके द्वारा किए गए कार्यों को धीरे-धीरे सब भूल जाएंगे. शायद इसलिए ही परमात्मा ने मनुष्य को भूलने वाली शक्ति दी और आत्मा की चाभी अपने पास रख ली ताकि मनुष्य उसका गलत इस्तेमाल ना कर सके.