नयी दिल्लीः सुलगता कश्मीर को शांत कश्मीर बनाने के लिए के लिए केंद्र की सरकार और कश्मीर की प्रशासन ने कोई कसर बाकि नहीं रखी है.
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लेकिन अलगाववादि नेता अपनी दुकान बंद होती देख कश्मीर को अशांत करने की भरसक कोशिश में जुटें हैं . 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 के खात्मे के बाद.
कई एसे लोगों को हिरासत में लिया गया जिनसे कश्मीर की शांति को खतरा था . इसी क्रम में पहले महबूबा, उमर और अब 2010 बैच के IAS रह चुके शाह फैसल पर जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने पब्लिक सिक्योरिटी एक्ट (PSA) लगाया गया है.
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शाह फैसल पर प्रशासन ने PSA के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है. IAS की नौकरी छोड़कर राजनीति में आने वाले शाह फैसल जम्मू एंड कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट (JKPM) के अध्यक्ष हैं.
बताते चलें कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद शाह फैसल को पिछले साल 14 अगस्त को सीआरपीसी की धारा 107 के तहत हिरासत में लिया गया था. बाद में उन्हें कस्टडी में लेकर एमएलए हॉस्टल में रखा गया था.
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अभी ये तय नहीं है कि शाह फैसल को उनके घर में शिफ्ट किया जाएगा अथवा एमएलए हॉस्टल में ही रखा जाएगा. जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाने के बाद प्रशासन ने हाल ही में राज्य के पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला.
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पीडीपी नेता और पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती, अली मोहम्मद सागर, सरताज मदनी, हिलाल लोन और नईम अख्तर पर भी पब्लिक सिक्योरिटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया है.
पब्लिक सिक्योरिटी एक्ट जम्मू कश्मीर का एक विशेष कानून है. इसे 1978 में फारूक अब्दुल्ला के पिता शेख अब्दुल्ला ने लागू किया था.
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ये कानून किसी भी शख्स को एहतियान हिरासत में लेने से जुड़ा है. इस कानून के प्रावधानों के मुताबिक राज्य सरकार किसी भी व्यक्ति के खिलाफ बिना केस चलाए उसे दो साल तक जेल में रख सकती है.
कहा जा सकता है कि ये कानून देश के दूसरे हिस्सों में लागू राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) जैसा है, लेकिन देश में NSA लागू होने से दो साल पहले ही जम्मू कश्मीर में PSA लागू हो चुका था.