नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने अर्णब गोस्वामी को राहत दी है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि गोस्वामी के खिलाफ दायर एफआईआर पर गौर करने पर प्रथम दृष्टया आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला नहीं दिखता है. कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में अदालतों के दरवाजे बंद नहीं किए जा सकते हैं और व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित होने के सभी मामलों के लिए अदालतें खुली रहनी चाहिए. एक दिन के लिए भी किसी को इस अधिकार से महरूम नहीं किया जा सकता है.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि जब तक बॉम्बे हाई कोर्ट अर्णब की एफआईआर रद्द करने की मांग वाली याचिका पर फैसला नहीं सुनाता, तब तक वो ज़मानत पर रहेंगे. अगर हाईकोर्ट अर्णब की याचिका को खारिज भी कर देता है, तब भी अगले 4 हफ्ते तक उन्हें जमानत रहेगी ताकि हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ वो सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर सके. सुप्रीम कोर्ट ने 11 नवम्बर को अर्णब गोस्वामी को अंतरिम जमानत दी थी. कोर्ट ने कहा कि अगर संवैधानिक कोर्ट किसी की स्वतंत्रता का ध्यान नहीं देगी तो फिर कौन करेगा.