रांची: राजद सुप्रीमो को अभी जेल में ही रहना होगा. उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई टल गई है. अब 11 दिसंबर को उनके जमानत याचिका पर सुनवाई होगी. चारा घोटाले के मामले में सजायाफ्ता आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को कुछ दिन और जेल में ही रहना पड़ेगा. दुमका कोषागार से गबन के मामले में आज उनकी जमानत याचिका पर हुई सुनवाई कोर्ट ने टाल दी.
अब इस मामले पर 11 दिसंबर को सुनवाई होगी. झारखंड हाईकोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान लालू यादव की जमानत पर फैसला होना था. जिसके बाद उनके जेल से निकलने के कयास लगाए जा रहे थे. चारा घोटाले के इस मामले की सुनवाई वर्चुअल तरीके से हुई. लालू के वकील प्रभात कुमार ने वर्चुअली अपना पक्ष रखा. लालू की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल भी पक्ष रख रहे थे. वहीं, सीबीआई ने भी सुनवाई के दौरान अपना पक्ष रखा.
हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान लालू प्रसाद के खिलाफ सीबीआई की ओर से हाफ सेंटेंस की अवधि पर सवाल उठाए गए. इसके बाद हाईकोर्ट ने पूरी सजा की अवधि को वेरिफाई करने का निर्देश दिया. अब 11 दिसंबर को पूरी सजा की अवधि के बाद अदालत जमानत को लेकर निर्णय लेगी. सुनवाई के दौरान लालू प्रसाद के वकील प्रभात कुमार ने हाफ सेंटेंस की कुल अवधि की जानकारी कोर्ट को दी.
तीन मामले में जमानत
लालू प्रसाद यादव पर झारखंड में पांच मामले चल रहे हैं. इनमें से चार मामलों में उन्हें सजा मिल चुकी है. लालू को पहले ही चाईबासा के दो और देवघर मामले में जमानत मिल चुकी है, जबकि दुमका कोषागार मामले में उन्होंने हाईकोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की है. डोरंडा कोषागार मामले में अभी निचली अदालत में सुनवाई चल रही है.
बीमारी का दिया हवाला
चारा घोटाला में सजायाफ्ता लालू प्रसाद यादव को चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी मामले में 9 अक्टूबर को जमानत मिल गयी है. लालू प्रसाद यादव ने अपनी जमानत याचिका में अपनी बीमारी का हवाला दिया था. याचिका में बताया गया है कि वह कई बीमारियों से ग्रसित हैं. उनका इलाज कई सालों से रांची के रिम्स में हो रहा है. उनका स्वास्थ्य भी ठीक नहीं रहता है. इसलिए उन्हें जमानत दे दी जाए. लालू प्रसाद यादव ने 4 जुलाई को हाईकोर्ट में जमानत के लिए याचिका दाखिल की थी.
2017 से जेल में हैं लालू
आपको बता दें कि बिहार के पूर्व सीएम व राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव 23 दिसंबर 2017 से चारा घोटाला मामले में जेल में बंद हैं. दुमका, देवघर और चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी मामले में सीबीआई की विशेष अदालत इन्हें सजा सुना चुकी है. देवघर और चाईबासा से जुड़े तीन मामले में इन्हें जमानत मिल चुकी है.
चारा घोटाले का घटनाक्रम इस प्रकार है:
- जनवरी, 1996: चाईबासा के उपायुक्त अमित खरे ने पशुपालन विभाग में छापेमारी की जिसके बाद चारा घोटाले का खुलासा हुआ.
- मार्च, 1996: पटना उच्च न्यायालय ने सीबीआई से चारा घोटाले की जांच करने को कहा. सीबीआई ने चाईबासा (अविभाजित बिहार में) कोषागार से अवैध निकासी मामले में प्राथमिकी दर्ज की.
- जून, 1997: सीबीआई ने आरोपपत्र दायर किया, लालू प्रसाद को आरोपी के तौर पर नामज़द किया.
- जुलाई, 1997: लालू ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया, राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बनाया गया. सीबीआई अदालत में आत्मसमर्पण किया. न्यायिक हिरासत में भेजे गए.
- अप्रैल, 2000: राबड़ी को भी मामले में आरोपी बनाया गया लेकिन उन्हें जमानत दे दी गई.
- अक्टूबर, 2001: उच्चतम न्यायालय ने बिहार के विभाजन के बाद मामला झाारखंड उच्च न्यायालय को हस्तांतरित किया.
- फरवरी, 2002: झारखंड में विशेष सीबीआई अदालत में सुनवाई शुरू हुई.
- दिसंबर, 2006: पटना की एक निचली अदालत ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में लालू और राबड़ी को बरी किया.
- मार्च, 2012: लालू और जगन्नाथ मिश्रा के खिलाफ आरोप तय किए गए.
- सितंबर, 2013: एक दूसरे चारा घोटाला मामले में लालू, मिश्रा और 45 अन्य दोषी करार दिए गए. लालू को रांची की जेल में भेजा गया और लोकसभा की सदस्यता के अयोग्य ठहराया गया, चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी गई.
- दिसंबर, 2013: उच्चतम न्यायालय ने लालू को जमानत दी.
- मई, 2017: उच्चतम न्यायालय के आठ मई के आदेश के बाद सुनवाई दोबारा शुरू हुई. उच्चतम न्यायालय ने निचली अदालत से देवघर कोषागार से अवैध निकासी मामले में उनके ख़िलाफ़ अलग से मुकदमा चलाने को कहा.
- 23 दिसंबर, 2017: सीबीआई की विशेष अदालत ने लालू सहित 16 अन्य को दोषी करार दिया. लालू को अब तक छह में से दो मामलों में दोषी करार दिया जा चुका है.