रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के काफिले पर हमला करने के मामले में गठित उच्च स्तरीय समिति ने जो रिपोर्ट सौंपी है, उसमें कई सुझाव दिए गए हैं. 4 जनवरी को किशोरगंज चौक में सीएम के काफिले पर जब हमला हुआ तो कंट्रोल रूम के प्रभारी एडीएम स्तर के अधिकारी नदारद थे.
रिपोर्ट में कहा गया है कि वह 1 माह से कंट्रोल रूम नहीं गए थे. हमला के बाद जब पुलिस बल की मांग की गई तो वहां कोई वाहन नहीं था.पुलिसकर्मी जैसे तैसे अपनी बाइक से वहां पहुंचे इनकी संख्या 16 थी और इनकी अगुवाई हवलदार कर रहा था. इसमें 11 महिला जवान थी, सभी निहत्थे थे, यह घोर लापरवाही है.
सिफारिश की गई है कि राज्य कंट्रोल रूम के अलावा जिला स्तर पर भी कंट्रोल रूम को दुरुस्त किया जाए, कंट्रोल रूम किसी भी तरह के आपदा की सूचना पर तैयार हालत में मिले. सीएम के काफिले पर हमला के मामले में सुरक्षा से संबंधित सभी विंग फेल पाए गए, विशेष शाखा से कोई सूचना नहीं थी.
जिला और पुलिस प्रशासन के पास भी हमला के बाद भी अपने सूचना तंत्र से कुछ पता नहीं चला था. कमेटी ने माना है कि जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन, यातायात पुलिस और विशेष शाखा इस पूरे मामले में फेल रहे. कोई भी अधिकारी अपने-अपने पदस्थापन की जवाबदेही पर खरे नहीं उतरे थे. किसी भी विंग में तालमेल नहीं था.
कमेटी ने सुझाव दिया है कि भविष्य में महत्वपूर्ण व्यक्तियों पर हमला ना हो इसके लिए सभी विंग को आपस में तालमेल बिठाकर काम करना होगा. एडीएम स्तर के अधिकारी कंट्रोल रूम में बैठे और जिला के एसपी डीसी हर माउस की समीक्षा करें. यह भी सुझाव दिया गया कि विधि व्यवस्था पर जो रिपोर्ट पहले जिला से मुख्यालय को भेजे जाते थे, उसको फिर से शुरुआत की जाए.
उच्च स्तरीय समिति ने यह दिया सुझाव–
उच्च स्तरीय समिति ने एसपीडीसी कंट्रोल रूम की हर बार समीक्षा करने का सुझाव दिया है. साथ ही एडीएम स्तर के अधिकारी के पास रहे प्रभाव और कंट्रोल रूम को संसाधन उपलब्ध कराने का भी सुझाव दिया है. जिला प्रशासन हर 15 दिन पर विधि व्यवस्था पर सरकार को रिपोर्ट दे इसका भी सुझाव दिया गया है.
वहीं जो खामियां मिली हैं, उसमें यह कहा गया है कि रांची के कंट्रोल रूम प्रभारी एडीएम 1 माह से नहीं गए थे. 16 पुलिसकर्मी किशोरगंज पहुंचे थे, इनमें 11 महिला जवान थी और हवलदार पुलिस टीम की अगुवाई कर रहा था. हमले की जानकारी सीनियर अधिकारियों को नहीं दी गई थी.
कंट्रोल रूम की गाड़ी गायब–
साल 2012 में राज्य और जिला कंट्रोल रूम को जो गोलियां दी गई थी, उसका उपयोग कहीं और हो रहा है. कंट्रोल रूम को आवंटित वाहन कहां है इसकी कोई जानकारी नहीं मिल पाई. घटना के दिन मुख्यमंत्री के काफिले की अगुवाई इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी कर रहे थे. उच्च स्तरीय कमेटी में भू-राजस्व सचिव केके सोन और आईपीएस अखिलेश झा शामिल थे. इन दोनों ने जो रिपोर्ट दी है उसमें इस घटना के लिए जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन को दोषी माना है, लेकिन किसी अधिकारी को दोषी नहीं माना गया है.