BNN DESK: हर वर्ष 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस को उनकी जयंती पर याद किया जाता है. धनबाद वासियों के लिए यह दिन खास मायने रखता है. 18 जनवरी 1941 की रात को गोमो स्टेशन से उनको कालका मेल से दिल्ली रवाना किया था. नेताजी के सम्मान में रेल मंत्रालय ने वर्ष 2009 में इस स्टेशन का नामनेताजी सुभाष चंद्र बोस गोमो जंक्शन कर दिया.
23 जनवरी 2009 को उनकी जयंती के अवसर पर तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद ने उनके स्मारक का यहां लोकार्पण किया. नेताजी का वर्ष 1930 से 1941 के बीच कई बार धनबाद आगमन हुआ था. यहां वे जर्मन वेंडरर सेडान कार पर सवार होकर धनबाद, झरिया, जामाडोबा, टाटा सिजुआ, तोपचांची, कतरास और बाघमारा इलाके में घूमते थे.
धनबाद में 1930 में देश की पहली रजिस्टर्ड मजदूर यूनियन कोल माइनर्स टाटा कोलियरी मजदूर संगठन की स्थापना की थी. नेताजी स्वयं इसके अध्यक्ष थे. मजदूरों को संगठित कर उनके हक की लड़ाई के दौरान ही नेताजी ने आजाद हिंद फौज गठन का खाका तैयार कर लिया था. अगस्त 1945 से ही नेताजी लापता हो गए थे.
नेताजी का धनबाद से पारिवारिक रिश्ता भी था. यहां उनके चाचा अशोक बोस केमिकल इंजीनियर थे. 16 जनवरी 1941 को जब नेताजी जियाउद्दीन पठान के वेश में अंग्रेजों की नजरबंदी से कोलकाता से भाग निकले तो सीधे धनबाद बरारी में अपने चाचा अशोक बोस के यहां गए. नेताजी दिनभर यहीं रहे. यहां से कार से तोपचांची चले गए. तोपचांची से दूसरी कार (बीएलए 7164) पर सवार होकर गोमोह स्टेशन गए. वहां से ट्रेन से दिल्ली निकल गए.
जिस कार से नेताजी धनबाद में चलते थे, उसका मालिकाना हक ईस्ट इंडिया कंपनी के पास था. कंपनी ने यह कार बरारी प्लांट में तैनात उनके रिश्तेदार अशोक बोस को दी थी, जो नेताजी के चाचा थे. धनबाद आने पर नेताजी इसी कार की सवारी करते थे. इसी कार से वे तोपचांची तक गए और फिर वहां से गोमोह स्टेशन के लिए दूसरी कार ली.