रांची: पवित्र सावन महीने की पांचवीं और आखिरी सोमवारी के मौके पर आज देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ मंदिर को शर्त्तां के साथ खोला गया और सीमित संख्या में स्थानीय श्रद्धालुओं को मंदिर में पूजा-अर्चना की अनुमति दी गयी.
सावन पूर्णिमा और आखिरी सोमवारी के संजोग के बीच बाबा मंदिर में रक्षाबंधन की अनोखी परंपरा निभायी गयी. बाबा भोलेनाथ की सरकारी पूजा में राखी चढ़ाकर पूजा की गयी. इस मौके पर जिले के उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक समेत अन्य वरीय अधिकारी उपस्थित थे.
देवघर के उपायुक्त कमलेश्वर प्रसाद सिंह ने बताया कि श्रद्धालुओं के लिए वर्चुअल दर्शन के साथ ही सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर आज लगभग एक सौ की संख्या में स्थानीय श्रद्धालुओं को भी गर्भ गृह में जाकर दर्शन की अनुमति दी गयी. मंदिर में आज सभी की इंट्री सिर्फ वीआईपी गेट से ही कराई गई , बाकी सभी मंदिर के प्रमुख दरवाजे आज बंद रहे . लॉकडाउन के कारण पूरे सावन महीने में मंदिर आम श्रद्धालुओं के लिए बंद रहा और सिर्फ पुजारियों को ही पूजा-अर्चना की अनुमति दी गयी थी, लेकिन अदालत के निर्देश पर सावन पूर्णिमा के मौके पर श्रद्धालुओं मंदिर खोला गया था.
इधर, राजधानी रांची स्थित पहाड़ी मंदिर सावन पूर्णिमा के मौके पर भी बंद रहा. मंदिर में सिर्फ पुजारियों ने ही बाबा भोलेनाथ पर जलाभिषेक किया और पूजा अर्चना की.
उपराजधानी दुमका में भी सावन पूर्णिमा पर मंदिर के प्रधान पुजारी सदाशिव पंडा ने अपने सहयोगियों के साथ बाबा बासुकिनाथ की शोडषोपचार (शोडष$उपचार) विधि से पूजा की. बाबा को पंचामित्र-स्नान कराने के बाद चंदन, इत्र और अबीर का लेप लगाया गया और फूल-बेलपत्र से उनका श्रृंगार किया गया. इस वर्ष कोविड महामारी के कारण पूरे सावन माह में बाबा बासुकिनाथ धाम में भक्तों को मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं मिली. आज भी मंदिर में आम लोगों को प्रवेश नहीं दिया गया. आज सावन के अंतिम दिन बासुकिनाथ पंडा धर्मरक्षणी सभा के पुरोहितों ने भी बाबा बासुकिनाथ की पूजा की और बाबा से देश-दुनिया एवं राज्य की किरोना महामारी से शीघ्र मुक्ति और कल्याण की कामना की.
इधर, मुख्यमंत्र हेमन्त सोरेन ने सभी देश और झारखण्डवासियों को सावन पूर्णिमा और रक्षा बंधन की शुभकामनाएं दी है. मुख्यमंत्री ने कहा रक्षाबंधन हमें प्यार, एकता और कर्तव्य का सदैव स्मरण कराता है. उन्होंने लोगों से अपील की कि कोरोना संक्रमण के इस दौर में आप सभी इस पवित्र पर्व को घर में रहकर ही मनाएं.