सिसई (गुमला): प्रखण्ड मुख्यालय से 12 किमी दूर भुरसो पंचायत के अंतर्गत गांव है ‘बेंगवाटोली’. आपको यह जानकर हैरानी होगी कि चार से पांच हजार की जनसंख्या वाले इस गांव में आवागमन की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है. लोग खेत मे बने आड़ एवं जोखिम भरे ढ़ालानों में मार्ग बना आना-जाना करते हैं.
गांव के लोगों को मुख्य सड़क तक पहुंचने के लिए पैदल लगभग दो किलोमीटर से भी अधिक दूरी पहाड़ में बने ढ़ालान में तय करनी पड़ती है, तब जाकर मुख्य मार्ग से वाहन की सुविधा ले पाते हैं. बरसात के दिनों में मुश्किल काफी बढ़ जाती है. खासकर उस वक्त जब कोई बीमार पड़ जाए तो कांधे पर या साइकिल पर ढ़ोकर दो किलोमीटर मुख्य मार्ग तक जाना पड़ता है.
वहीं, गांव के लोगों का कहना है कि आम दिनों में तो किसी तरह मुख्य सड़क तक पैदल चले ही आते हैं मगर बरसात के दिनों में मुश्किल काफी बढ़ जाती है. बरसात के दिनों में खेत में पानी भरा रहता है, साथ ही जहरीले कीड़े-मकौड़े का भी डर रहता है. स्कूल जाने वाले बच्चों को भी भारी परेशानी होती है. पहाड़ पर बने ढ़ालान वाले सड़क पर पत्थर के बड़े-बड़े रोड़े पड़े हुए है, स्थिति इतनी बदतर है कि मोटरसाइकिल में चलना काफी जोखिम भरा है.
इस कच्ची सड़क में एक छोटी पुलिया भी है, जो कब की टूट चुकी है. पुलिया का राउंड कलवट भी क्षतिग्रस्त पड़ा हुआ है. लोग नीचे खेत से उतरकर चलने को मजबूर है. जनप्रतिनिधियों को कई बार जानकारी दी गयी, सड़क बनवाने के लिए आग्रह किया गया परन्तु आश्वासन के अलावा कुछ नहीं हुआ.
सालों पहले बना था मार्ग
गांव वालों ने बताया कि सालों पहले सरकारी स्तर से पहाड़ी ढ़ालान में मिट्टी एवं मोरम मिट्टी भरवाकर सड़क का निर्माण ग्रामीणों के सहयोग से कराया था. जो कुछ महीनों तक ठीक रही, परन्तु समय ढ़लने के साथ बदतर हो गयी. कच्ची सड़क होने के कारण इस रास्ते में भी बरसात के दिनों में आवागमन में भारी परेशानी का सामना गांववालों को करना पड़ता है. उन दिनों में साइकिल एवं पैदल के अलावा अन्य किसी भी यातायात के साधन का प्रयोग गांव जाने के लिए करना मुश्किल हो जाता है.
आजसू के केंद्रीय प्रवक्ता डॉ. देवशरण भगत का है पैतृक गांव
राजनीति के चर्चित चेहरों में से एक आजसू पार्टी के केंद्रीय प्रवक्ता डॉ. देवशरण भगत का पैतृक गांव भी यह है. राजनीतिक पैरवी होने के बावजूद भी इस गांव में सड़क के निर्माण को गम्भीरता से नहीं लिया गया. जिसका नतीजा गांववाले अबतक भुगत रहे हैं.
गांव में पहुंचने के लिए दूसरे मार्ग के कालीकरण का कार्य जारी : मुखिया
उक्त मामले में पंचायत की मुखिया रेखा देवी से बात की गयी तो उन्होंने बताया कि उन्होंने सड़क बनवाने की कई बार मांगे रखी लेकिन उनकी मांग को अनदेखा कर दिया गया. परन्तु आजकल उसी गांव में जाने वाले एक अन्य मार्ग (जो 4 किलोमीटर की अधिक दूरी तय कराता है) का निर्माण कार्य जारी है. जिसका कालीकरण का कार्य कुछ हद तक हुआ है उम्मीद है आने वाले दिनों में उस पहाड़ी वाले सड़क का भी निर्माण कराने का प्रयास किया जाएगा. साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि उस ढ़ालान वाले सड़क पर कई बार उबड़-खाबड़ होने के कारण मिट्टी का भराव भी किया गया था, परन्तु असफल रहे.
बहरहाल, देखना ये है कि आजादी के दशकों बाद आज तक एक अदद सड़क के लिए मरहूम यह गांव और कितने दिनों तक एक सड़क के लिए सरकार और जन प्रतिनिधियों की तरफ टकटकी लगाए बैठता हैं.