आकांक्षा सिन्हा
रांची: झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोमवार को विधानसभा सत्र के पहले दिन बरहेट निर्वाचन क्षेत्र के रूप में विधानसभा सदस्य के रूप में शपथ लिया. इसके साथ ही दुमका सीट छोड़ने का फैसला लिया.
हेमंत सोरेन ने रांची में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि उन्हें दुमका और बरहेट की जनता से प्यार और सम्मान मिला, इसके लिए वे दोनों क्षेत्र की जनता के प्रति आभार प्रकट करना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि प्रक्रिया और नियम के तहत उन्होंने एक सीट छोड़ने का फैसला लिया है, लेकिन क्षेत्र की जनता से उनका संवाद लगातार बना रहेगा.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बरहेट की जगह दुमका सीट क्यों छोड़ी, इसे लेकर राजनीतिक क्षेत्र में तरह-तरह के अटकलों का बाजार गर्म है. बताया जा रहा है कि हेमंत सोरेन ने वर्ष 2014 के विधानसभा में भी दुमका के अलावा बरहेट विधानसभा सीट से चुनाव जीता था, लेकिन तब वे काफी कम मतों के अंतर से दुमका से चुनाव हार गये थे, लेकिन बरहेट ने हेमंत सोरेन की लाज बचाने का काम किया है, इस बार भी बरहेट से हेमंत सोरेन बड़े अंतर से चुनाव जीत कर आये हैं.
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि यदि हेमंत सोरेन इस बार बरहेट सीट छोड़ देते, तो क्षेत्र की जनता में यह संदेश जाता कि पिछली बार वे सिर्फ एक सीट से जीते थे, इसलिए वे वहां बने रहे, लेकिन इस बार दूसरी सीट से जीतने के साथ ही उन्होंने दुमका सीट छेड़ने का निर्णय लिया था.
वहीं दुमका के बारे में यह मानना है कि इस क्षेत्र में जनजातीय समुदाय के अलावा अन्य समुदाय के लोगों की संख्या भी काफी अधिक है, इससे वहां होने वाले उपचुनाव में झामुमो की स्थिति मजबूत रहेगी. इस सीट से झामुमो के दिग्गज नेता स्टीफन मरांडी भी पार्टी टिकट पर पांच बार चुनाव जीत चुके हैं और यह उम्मीद की जा रही है कि इस चुनाव में भी झामुमो को जीत दिलाने में उनकी बड़ी भूमिका होगी.