रांची: भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने प्रदेश मुख्यालय में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि लालू प्रसाद से राजनीतिज्ञों की मुलाकात का सिलसिला लगातार जारी है और इस दौरान जेल मैनुअल और कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं.
प्रतुल ने कहा कि जेल आईजी ने कहा कि केली बंगला को जेल नहीं माना जा सकता है. प्रतुल ने कहा कि यह बयान पूरे तरीके से निराधार है, क्योंकि उच्च न्यायालय ने अपने 24 अगस्त 2018 के आदेश में लालू प्रसाद को रिम्स में इलाज करने की सुविधा देते हुए यह टिप्पणी की थी यह इलाज रांची में हिरासत में हो.
प्रतुल ने कहा कि जेल एक्ट (1894) का सेक्शन 3(1) कहता है कि जेल वह कोई ऐसी जगह भी हो सकता है, सजायाफ्ता कैदी को अल्पकाल के लिए भी रखा जाए. इसलिए सरकार या अधिकारी कुछ भी कहे, लेकिन तकनीकी रूप से लालू प्रसाद फिलहाल रिम्स में हिरासत में है और उनके ऊपर जेल मैनुअल के सारे नियम लागू होंगे.
प्रतुल ने कहा की मुलाकात के दौरान भी जेल मैनुअल का बिल्कुल भी ध्यान नहीं रखा जा रहा. जेल मैनुअल का चैप्टर 17 का रूल 620 कहता है की किसी भी मुलाकाती को मिलने से पहले जेल अधीक्षक से लिखित आदेश अनिवार्य रूप से लेना होगा. लेकिन हमें जानकारी है की अधिकांश नेता मौखिक आदेश से ही लालू प्रसाद से मिल रहे हैं.
रूल 625 स्पष्ट कहता है कि एक सजायाफ्ता कैदी के साथ हर मुलाकात के दौरान कम से कम असिस्टेंट जेलर के रैंक की अधिकारी की उपस्थिति अनिवार्य है. प्रतुल ने कहा कि लालू प्रसाद से बेधड़क लोग मिल रहे हैं और राजनीतिक बातें भी हो रही हैं और कोई जेल का अधिकारी भी मौजूद नहीं रहता. रूल 634 स्पष्ट कहता है कि अगर कोई दिए गए सुविधा का दुरुपयोग करें तो उससे यह सुविधा अविलंब वापस ली जा सकती है.
भाजपा सीधा सीधा आरोप सुबूतों के साथ इस निरंकुश सरकार पर लगा रही है कि लालू को सजायाफ्ता कैदी नहीं बल्कि राज्य स्तरीय मेहमान बनाया गया है. ऐसा लग रहा है मानो घोटाले के मामले में जेल में रहने वाले कैदी और उनकी घोटाले की विचारधारा को सरकार खुद में आत्मसात कर चुकी है.
लगता है जैसे सरकार ये संदेश देना चाहती है कि घोटालेबाजों के लिए हमने अपनी बाहें खोल रखी हैं. मुख्यमंत्री से हम पूछना चाहते हैं कि क्या नियमों का उल्लंघन कर सरकार घोटाले बाजी को बढ़ावा देने का संकेत देना चाह रही है?